पाकिस्तान की आयरन लेडी मुनिबा मजारी
नई दिल्ली:
इन दिनों सोशल मीडिया साइट्स पर एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है. वीडियो एक महिला के जज्बे और हौसले की दास्तान है. वीडियो में वह महिला अपने जीवन के संघर्ष को बयां कर रही है. यह महिला कोई और नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र
संघ में पाकिस्तान की नेशनल एम्बेस्डर मुनिबा मजारी हैं, जिन्हें पाकिस्तान की आयरन लेडी कहा जाता है. मुनिबा चल-फिर नहीं सकती हैं इसके बावजूद उन्होंने व्हील चेयर को अपनी मजबूरी नहीं बनाया. आज दुनिया जिस मजबूत इरादों वाली
सक्सेसफुल मुनिबा को जानती है उसकी कहानी किसी ट्रैजिडी से कम नहीं है. 20 साल की छोटी सी उम्र में एक कार एक्सीडेंट में मुनिबा बुरी तरह घायल हो गईं और फिर वह कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाईं.
अपनों ने ढाए सितम, लेकिन नहीं टूटा हौसला
मुनिबा का जन्म एक ऐसे रूढ़िवादी बलोच परिवार में हुआ था, जहां 'अच्छी' लड़कियां परिवार की कही किसी बात पर न नहीं कह सकतीं. वो पेशेवर पेंटर बनना चाहती थीं, लेकिन पिता की खुशी की खातिर उन्हें मजबूरन 18 साल की उम्र में
शादी करनी पड़ी. उनकी शादीशुदा जिंदगी खुशहाल नहीं थी. वो जैसे-तैसे शादी निभा रही थीं कि तभी एक कार हादसे ने उनकी जिंदगी को हमेशा-हमेशा के लिए बदल कर रख दिया. मुनिबा के मुताबिक उनका पति कार चलाते हुए सो गया
और एक्सीडेंट हो गया. इस हादसे में उनके पति तो कार से कूदकर बच निकला लेकिन मुनिबा अंदर ही रह गईं. नतीजतन वो बुरी तरह जख्मी हो गईं.
डॉक्टरों ने बताया कि मुनिबा अब कभी पेंटिंग नहीं कर पाएंगी. फिर उन्हें पता चला कि वो अपने दोनों पैर गंवा चुकी थीं. यही नहीं इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वो कभी मां भी नहीं बन पाएंगी. इस बात से मुनिबा इतनी दुखी थीं कि
अब वो खुद के जिंदा होने पर ही सवाल करने लगी थीं. फिर अस्पताल में रहते हुए उन्होंने पेटिंग का सामान मंगाया और अपनी भावनाओं को कागज पर उकेरनी लगीं. पेंटिंग बहुत शानदार थी और उसी दिन मुनिबा ने तय किया कि अब वो खुद के लिए जिंदा रहेंगी. न कि किसी दूसरे के लिए पर्फेक्ट बनने की कोशिश करेंगी. उनके मुताबिक, 'मैं खुद के लिए जीना चाहती थी. मैं अपने डर से लड़ना चाहती थी. मैंने एक लिस्ट बनाई जिसमें उन बातों का जिक्र था जिनसे मुझे डर लगता था. मैंडर को जीतना चाहती थी. '
VIDEO: आरती क जज्बे को सलाम
मुनिबा के मुताबिक उन्हें तलाक से सबसे ज्यादा डर लगता था. वो कहती हैं, 'जिस पल मुझे एहसास हुआ कि यह और कुछ नहीं बल्कि मेरा डर है तो मैंने उसे तलाक देकर खुद को आजाद किया. मेरा दूसरा डर मां न बन पाने का था. लेकिन फिर
मैंने सोचा कि इस दुनिया में कई बच्चे ऐसे हैं जिन्हें कोई स्वीकार नहीं करता. ऐसे में रोने का कोई मतलब नहीं. और मैंने एक बच्चा भी गोद ले लिया.'
'गूंगा पहलवान' की कहानी
इसके बाद मुनिबा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने हर वो काम किया जो व्हील चेयर उन्हें करने से रोकती थी. उन्होंने पेंटिंग को तो अपना प्रोफेशन बनाया ही साथ में कई ऐसे काम भी किए जिनसे उन्हें इंटरनेशल लेवल पर पहचान
मिली. व्हील चेयर पर होने के बावजूद उन्होंने रैंप पर मॉडलिंग भी की. वो गाना भी गाती हैं और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. यही नहीं वो मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं.
पाकिस्तान में महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाने वाली मुनिबा का एक वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया साइट्स पर खूब शेयर किया गया है. 6 मिनट 37 सेकेंड की इस वीडियो क्लिप में उन्होंने अपनी जिंदगी के सफर के बारे में बताया
है.
VIDEO: हिमालय से ऊंचे हौसलों की दास्तान
संघ में पाकिस्तान की नेशनल एम्बेस्डर मुनिबा मजारी हैं, जिन्हें पाकिस्तान की आयरन लेडी कहा जाता है. मुनिबा चल-फिर नहीं सकती हैं इसके बावजूद उन्होंने व्हील चेयर को अपनी मजबूरी नहीं बनाया. आज दुनिया जिस मजबूत इरादों वाली
सक्सेसफुल मुनिबा को जानती है उसकी कहानी किसी ट्रैजिडी से कम नहीं है. 20 साल की छोटी सी उम्र में एक कार एक्सीडेंट में मुनिबा बुरी तरह घायल हो गईं और फिर वह कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पाईं.
अपनों ने ढाए सितम, लेकिन नहीं टूटा हौसला
मुनिबा का जन्म एक ऐसे रूढ़िवादी बलोच परिवार में हुआ था, जहां 'अच्छी' लड़कियां परिवार की कही किसी बात पर न नहीं कह सकतीं. वो पेशेवर पेंटर बनना चाहती थीं, लेकिन पिता की खुशी की खातिर उन्हें मजबूरन 18 साल की उम्र में
शादी करनी पड़ी. उनकी शादीशुदा जिंदगी खुशहाल नहीं थी. वो जैसे-तैसे शादी निभा रही थीं कि तभी एक कार हादसे ने उनकी जिंदगी को हमेशा-हमेशा के लिए बदल कर रख दिया. मुनिबा के मुताबिक उनका पति कार चलाते हुए सो गया
और एक्सीडेंट हो गया. इस हादसे में उनके पति तो कार से कूदकर बच निकला लेकिन मुनिबा अंदर ही रह गईं. नतीजतन वो बुरी तरह जख्मी हो गईं.
डॉक्टरों ने बताया कि मुनिबा अब कभी पेंटिंग नहीं कर पाएंगी. फिर उन्हें पता चला कि वो अपने दोनों पैर गंवा चुकी थीं. यही नहीं इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि वो कभी मां भी नहीं बन पाएंगी. इस बात से मुनिबा इतनी दुखी थीं कि
अब वो खुद के जिंदा होने पर ही सवाल करने लगी थीं. फिर अस्पताल में रहते हुए उन्होंने पेटिंग का सामान मंगाया और अपनी भावनाओं को कागज पर उकेरनी लगीं. पेंटिंग बहुत शानदार थी और उसी दिन मुनिबा ने तय किया कि अब वो खुद के लिए जिंदा रहेंगी. न कि किसी दूसरे के लिए पर्फेक्ट बनने की कोशिश करेंगी. उनके मुताबिक, 'मैं खुद के लिए जीना चाहती थी. मैं अपने डर से लड़ना चाहती थी. मैंने एक लिस्ट बनाई जिसमें उन बातों का जिक्र था जिनसे मुझे डर लगता था. मैंडर को जीतना चाहती थी. '
VIDEO: आरती क जज्बे को सलाम
मुनिबा के मुताबिक उन्हें तलाक से सबसे ज्यादा डर लगता था. वो कहती हैं, 'जिस पल मुझे एहसास हुआ कि यह और कुछ नहीं बल्कि मेरा डर है तो मैंने उसे तलाक देकर खुद को आजाद किया. मेरा दूसरा डर मां न बन पाने का था. लेकिन फिर
मैंने सोचा कि इस दुनिया में कई बच्चे ऐसे हैं जिन्हें कोई स्वीकार नहीं करता. ऐसे में रोने का कोई मतलब नहीं. और मैंने एक बच्चा भी गोद ले लिया.'
'गूंगा पहलवान' की कहानी
इसके बाद मुनिबा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने हर वो काम किया जो व्हील चेयर उन्हें करने से रोकती थी. उन्होंने पेंटिंग को तो अपना प्रोफेशन बनाया ही साथ में कई ऐसे काम भी किए जिनसे उन्हें इंटरनेशल लेवल पर पहचान
मिली. व्हील चेयर पर होने के बावजूद उन्होंने रैंप पर मॉडलिंग भी की. वो गाना भी गाती हैं और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. यही नहीं वो मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं.
पाकिस्तान में महिलाओं के हक के लिए आवाज उठाने वाली मुनिबा का एक वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया साइट्स पर खूब शेयर किया गया है. 6 मिनट 37 सेकेंड की इस वीडियो क्लिप में उन्होंने अपनी जिंदगी के सफर के बारे में बताया
है.
Don't let anyone ever stop you. Inspirational speech by @muniba_mazari https://t.co/wxSLbnTAZX
— Mohammad Farran (@farranaou) October 27, 2017
VIDEO: हिमालय से ऊंचे हौसलों की दास्तान
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