UGC को खत्म करने के बाद ग्रांट की मंजूरी के अधिकार पर अंतिम फैसला नहीं किया गया है.
नई दिल्ली:
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने साफ कर दिया कि यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (UGC) को खत्म करने के बाद उच्च शैक्षणिक संस्थाओं के लिए ग्रांट की मंजूरी देने का अधिकार अपने पास रखने पर मंत्रालय ने अभी अंतिम फैसला नहीं किया है. मंत्रालय ने पिछले हफ्ते यूजीसी कानून 1951 को समाप्त कर यूजीसी को खत्म करने और उसकी जगह हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया (एचईसीआई) का गठन करने की घोषणा की थी.
मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘प्रस्तावित एचईसीआई कानून 2018 के तहत ग्रांट से जुड़े कामों की जिम्मेदारी मंत्रालय को दिए जाने के संबंध में जाहिर की गई आशंकाएं बेबुनियाद हैं. ग्रांट से जुड़े कार्य मंत्रालय को सौंपे जाने के संबंध में कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है, भले ही अतीत में कई विशेषज्ञ समितियां नियम बनाने वाली और ग्रांट जारी करने वाली संस्थाओं को अलग करने की सिफारिश कर चुकी हैं और यह शासन के ठोस सिद्धांतों पर आधारित है.’
प्रवक्ता ने बताया, ‘ग्रांट जारी करने की प्रक्रिया सही तरीके से ऑनलाइन होगी. यह ऐसी प्रणाली है जिसमें न्यूनतम मानवीय दखल के कारण पारदर्शिता और प्रभावशीलता की गारंटी होती है. हम वादा करते हैं कि अगर यूजीसी की ग्रांट देने की मौजूदा प्रणाली की जगह कोई व्यवस्था होती है तो इसे निष्पक्ष तरीके से संचालित किया जाएगा.’
UGC को खत्म कर नया एजुकेशन सिस्टम बनाने के लिए सरकार ने मांगे सुझाव
हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया के गठन से जुड़ा विधेयक 18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है.
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एचईसीआई को स्थापित करने के लिए मंत्रालय की ओर से जारी किए गए ड्राफ्ट के मुताबिक, एचईसीआई पूरी तरह से अकादमिक मामलों पर ध्यान देगा और उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए ग्रांट की मंजूरी का अधिकार मंत्रालय के पास होगा. सरकार के इस फैसले पर शिक्षाविदों के एक तबके ने नाराजगी जताई है. उन्होंने इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहा है कि नेताओं को शिक्षा के मामलों में दखल नहीं देना चाहिए.मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘प्रस्तावित एचईसीआई कानून 2018 के तहत ग्रांट से जुड़े कामों की जिम्मेदारी मंत्रालय को दिए जाने के संबंध में जाहिर की गई आशंकाएं बेबुनियाद हैं. ग्रांट से जुड़े कार्य मंत्रालय को सौंपे जाने के संबंध में कोई अंतिम फैसला नहीं किया गया है, भले ही अतीत में कई विशेषज्ञ समितियां नियम बनाने वाली और ग्रांट जारी करने वाली संस्थाओं को अलग करने की सिफारिश कर चुकी हैं और यह शासन के ठोस सिद्धांतों पर आधारित है.’
प्रवक्ता ने बताया, ‘ग्रांट जारी करने की प्रक्रिया सही तरीके से ऑनलाइन होगी. यह ऐसी प्रणाली है जिसमें न्यूनतम मानवीय दखल के कारण पारदर्शिता और प्रभावशीलता की गारंटी होती है. हम वादा करते हैं कि अगर यूजीसी की ग्रांट देने की मौजूदा प्रणाली की जगह कोई व्यवस्था होती है तो इसे निष्पक्ष तरीके से संचालित किया जाएगा.’
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हायर एजुकेशन कमीशन ऑफ इंडिया के गठन से जुड़ा विधेयक 18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र में पेश किए जाने की संभावना है.
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