एनआईटी अगरतला में खुलेगा रबर, बांस शोध केंद्र, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर

बांस को उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 'हरा सोना' माना जाता है. त्रिपुरा में 75,000 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर बांस की खेती होती है

एनआईटी अगरतला में खुलेगा रबर, बांस शोध केंद्र, रोजगार के बढ़ेंगे अवसर

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलॉजी, अगरतला (एनआईटीए) ने उत्तर पूर्व क्षेत्र में उद्योगों और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए रबर और बांस शोध केंद्र स्थापित करने की तैयारी की है. एनआईटीए के निदेशक अजय कुमार रॉय ने बताया, त्रिपुरा भारत में केरल के बाद दूसरा सबसे बड़ा रबर उत्पादक है, इसलिए रबर की खेती, उद्योग और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए एनआईटीए में एक व्यवहार्य रबर शोध केंद्र स्थापित किया जा सकता है. उन्होंने कहा, अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों की तरह ही त्रिपुरा में बांस की अच्छी पैदावार होती है और यहां एक बांस शोध केंद्र की जरूरत है. त्रिपुरा, मिजोरम और अन्य उत्तर पूर्वी राज्यों में बांस में विविधता बढ़ रही है.

बांस को माना जाता है हरा सोना
बांस को उत्तर पूर्वी क्षेत्र में 'हरा सोना' माना जाता है. त्रिपुरा में 75,000 हेक्टेयर से अधिक जमीन पर बांस की खेती होती है और सालाना यहां 60,000 टन रबर का उत्पादन होता है, जिसका बाजार मूल्य 650 करोड़ रुपये है. राज्य इसकी 90 फीसदी बिक्री अन्य राज्यों को करता है, जिससे 620 करोड़ रुपये की कमाई होती है.
 


बोधनगर क्षेत्र में स्थापित होगा औद्योगिक रबर पार्क
पॉलिमर उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए देश का दूसरा औद्योगिक रबर पार्क त्रिपुरा के बोधनगर क्षेत्र में स्थापित किया जा रहा है. बता दें कि रॉय ने विज्ञान और इंजीनियरिंग में उत्कृष्ट योगदान के लिए इस साल पद्म श्री प्राप्त किया था. उन्होंने बताया, प्रभावी औद्योगिक सहयोग की तलाश में एनआईटीए ने तीन कॉरपोरेट और प्रशिक्षण संस्थान के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है. उन्होंने कहा कि इसके लिए ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन, नार्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन और बेंगलुरू की कंपनी आईबिल्ड के साथ समझौता किया गया है.
 
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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