New Education Policy 2020: नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा में आमूलचूल सुधार का खाका तैयार किया गया है जिसमें बोर्ड परीक्षा को सरल बनाने, पाठ्यक्रम का बोझ कम करने के साथ ही बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते हुए स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 की नई पाठयक्रम संरचना लागू की जाएगी. नई नीति में विद्यार्थियों को कौशल या व्यावहारिक जानकारियां देने तथा पांचवी कक्षा तक मातृभाषा में शिक्षा पर जोर दिया गया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे दी. बैठक के बाद स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव अनिता करवल ने संवाददाताओं को बताया कि ग्रेड 10 एवं 12 के लिए बोर्ड परीक्षाएं जारी रखी जाएंगी, लेकिन समग्र विकास के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए इन्हें नया स्वरूप दिया जाएगा ताकि छात्रों को कोचिंग क्लास की जरूरत नहीं पड़े .''
नई नीति में बचपन की देखभाल और शिक्षा पर जोर देते कहा गया है कि स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 की नयी पाठयक्रम संरचना लागू की जाएगी जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 साल की उम्र के बच्चों के लिए होगी. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है. नई प्रणाली में तीन साल की आंगनवाड़ी / प्री स्कूलिंग के साथ 12 साल की स्कूली शिक्षा होगी. एनसीईआरटी 8 वर्ष की आयु तक के बच्चों के लिए प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (एनसीपीएफईसीसीई) के लिए एक राष्ट्रीय पाठ्यक्रम और शैक्षणिक ढांचा विकसित करेगा. एक विस्तृत और मजबूत संस्थान प्रणाली के माध्यम से प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) मुहैया कराई जाएगी.
इसमें आंगनवाडी और प्री-स्कूल भी शामिल होंगे. बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान की प्राप्ति को सही ढंग से सीखने के लिए अत्यंत जरूरी एवं पहली आवश्यकता मानते हुए ‘एनईपी 2020' में मंत्रालय द्वारा ‘बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन'' की स्थापना किए जाने पर विशेष जोर दिया गया है. राज्य वर्ष 2025 तक सभी प्राथमिक स्कूलों में ग्रेड 3 तक सभी शिक्षार्थियों या विद्यार्थियों द्वारा सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान प्राप्त कर लेने के लिए एक कार्यान्वयन योजना तैयार करेंगे. एक राष्ट्रीय पुस्तक संवर्धन नीति भी तैयार की जानी है.
करवल ने कहा, ‘‘ स्कूल के पाठ्यक्रम और अध्यापन-कला का लक्ष्य यह होगा कि 21वीं सदी के प्रमुख कौशल या व्यावहारिक जानकारियां विद्यार्थियों को दे करके उनका समग्र विकास किया जाए तथा आवश्यक ज्ञान प्राप्ति एवं अपरिहार्य चिंतन को बढ़ाने व अनुभव आधारित शिक्षण पर अधिक फोकस करने के लिए पाठ्यक्रम को कम किया जाए.''
उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को पसंदीदा विषय चुनने के लिए कई विकल्प दिए जाएंगे. कला एवं विज्ञान के बीच, पाठ्यक्रम व पाठ्येतर गतिविधियों के बीच और व्यावसायिक एवं शैक्षणिक विषयों के बीच कोई भिन्नता नहीं होगी. नई नीति के तहत स्कूलों में छठे ग्रेड से ही व्यावसायिक शिक्षा शुरू हो जाएगी और इसमें इंटर्नशिप शामिल होगी. एक नई एवं व्यापक स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा ‘एनसीएफएसई 2020-21' एनसीईआरटी द्वारा विकसित की जाएगी. नीति में कम से कम ग्रेड 5 तक और उससे आगे भी मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा को ही शिक्षा का माध्यम रखने पर विशेष जोर दिया गया है.
विद्यार्थियों को स्कूल के सभी स्तरों और उच्च शिक्षा में संस्कृत को एक विकल्प के रूप में चुनने का अवसर दिया जाएगा. त्रि-भाषा फॉर्मूला में भी यह विकल्प शामिल होगा. इसके मुताबिक, किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा नहीं थोपी जाएगी. भारत की अन्य पारंपरिक भाषाएं और साहित्य भी विकल्प के रूप में उपलब्ध होंगे.
विद्यार्थियों को ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत' पहल के तहत 6-8 ग्रेड के दौरान किसी समय ‘भारत की भाषाओं' पर एक आनंददायक परियोजना/गतिविधि में भाग लेना होगा. करवल ने कहा कि कोरियाई, थाई, फ्रेंच, जर्मन, स्पैनिश, पुर्तगाली, रूसी भाषाओं को माध्यमिक स्तर पर पेश किया जायेगा.उन्होंने कहा कि स्कूल छोड़ चुके बच्चों को फिर से मुख्य धारा में शामिल करने के लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापना की जाएगी. एनईपी 2020 के तहत स्कूल से दूर रह रहे लगभग 2 करोड़ बच्चों को मुख्य धारा में वापस लाया जाएगा.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं