
महात्मा गांधी की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
30 जनवरी 1948 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. बापू का हत्यारा कोई और नहीं बल्कि नाथूराम गोडसे था. भारत में 30 जनवरी को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन पूरे देश में श्रद्धांजलि सभाओं का भी आयोजन होता है.
लोग इन्हें समझते थे बापू का 'भूत'
कौन था नाथूराम गोडसे?
नाथूराम विनायक गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को पुणे के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. उसके पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट ऑफिस में काम करते थे. गोडसे ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बारामति के स्कूल से ली थी. गोडसे का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उसे धार्मिक पुस्तकें पढ़ना बहुत पंसद था. उसने रामायण, महाभारत, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों के अलावा स्वामी विवेकानंद, बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी द्वारा रचित साहित्य का भी अध्ययन किया था. हाईस्कूल तक की पढ़ाई करने के बाद वह राजनीति में शामिल हो गया. वह शुरू में महात्मा गांधी का समर्थन लेकिन मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति उसे पसंद नहीं थी और फिर वह उनका विरोधी हो गया. मोहम्मद अली जिन्ना के विचार उसे जरा भी पसंद नहीं थे.
यह भी पढ़ें: ‘हे राम हमने गांधी को मार दिया’ का First Look रिलीज
ऐसे की थी बापू की हत्या
गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को बापू का सीना उस वक्त छलनी कर दिया जब वे दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे थे. गोडसे ने बापू के साथ खड़ी महिला को हटाया और अपनी सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से एक बाद के एक तीन गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. इसके बाद गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया.
गोडसे ने क्यों की थी बापू की हत्या?
नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी के उस फैसले के खिलाफ था जिसमें वह चाहते थे कि पाकिस्तान को भारत की तरफ से आर्थिक मदद दी जाए. इसके लिए बापू ने उपवास भी रखा था. इसी बात से नाराज होकर गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी.
यह भी पढ़ें: छुट्टियों के बाद सोमवार को 'पद्मावत' की जबरदस्त कमाई
हत्या के लिए मिली फांसी की सजा
नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी की हत्या करने के तुरंत बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उस पर शिमला की अदालत में ट्रायल चला. 8 नंवर 1949 को उसे फांसी की सजा सुनाई गई.
VIDEO: बापू की जिंदगी का वह आखिरी दिन..
हालांकि गांधी जी के दोनों बेटे ने गोडसे को क्षमादान देने की बात कही थी लेकिन उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उप-प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया था. गोडसे को 15 नवंबर 1949 को अंबाला के जेल में फांसी दी गई.
लोग इन्हें समझते थे बापू का 'भूत'
कौन था नाथूराम गोडसे?
नाथूराम विनायक गोडसे का जन्म 19 मई 1910 को पुणे के एक मध्यवर्गीय परिवार में हुआ था. उसके पिता विनायक वामनराव गोडसे पोस्ट ऑफिस में काम करते थे. गोडसे ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बारामति के स्कूल से ली थी. गोडसे का जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था. उसे धार्मिक पुस्तकें पढ़ना बहुत पंसद था. उसने रामायण, महाभारत, गीता जैसे धार्मिक ग्रंथों के अलावा स्वामी विवेकानंद, बाल गंगाधर तिलक और महात्मा गांधी द्वारा रचित साहित्य का भी अध्ययन किया था. हाईस्कूल तक की पढ़ाई करने के बाद वह राजनीति में शामिल हो गया. वह शुरू में महात्मा गांधी का समर्थन लेकिन मुस्लिम तुष्टीकरण की नीति उसे पसंद नहीं थी और फिर वह उनका विरोधी हो गया. मोहम्मद अली जिन्ना के विचार उसे जरा भी पसंद नहीं थे.
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ऐसे की थी बापू की हत्या
गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को बापू का सीना उस वक्त छलनी कर दिया जब वे दिल्ली के बिड़ला भवन में शाम की प्रार्थना सभा से उठ रहे थे. गोडसे ने बापू के साथ खड़ी महिला को हटाया और अपनी सेमी ऑटोमेटिक पिस्टल से एक बाद के एक तीन गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. इसके बाद गोडसे को गिरफ्तार कर लिया गया.
गोडसे ने क्यों की थी बापू की हत्या?
नाथूराम गोडसे महात्मा गांधी के उस फैसले के खिलाफ था जिसमें वह चाहते थे कि पाकिस्तान को भारत की तरफ से आर्थिक मदद दी जाए. इसके लिए बापू ने उपवास भी रखा था. इसी बात से नाराज होकर गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी.
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हत्या के लिए मिली फांसी की सजा
नाथूराम गोडसे को महात्मा गांधी की हत्या करने के तुरंत बाद ही गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद उस पर शिमला की अदालत में ट्रायल चला. 8 नंवर 1949 को उसे फांसी की सजा सुनाई गई.
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हालांकि गांधी जी के दोनों बेटे ने गोडसे को क्षमादान देने की बात कही थी लेकिन उस समय के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उप-प्रधानमंत्री वल्लभ भाई पटेल ने उनकी इस मांग को ठुकरा दिया था. गोडसे को 15 नवंबर 1949 को अंबाला के जेल में फांसी दी गई.
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