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This Article is From Nov 06, 2019

कुछ ऐसा था सीवी रमन के अकाउंटेंट से वैज्ञानिक बनने तक का सफर, मिला था विज्ञान का नोबेल पुरस्कार

C.V. Raman: कोलकाता विज्ञान में भारत के प्रथम नोबेल विजेता डॉ. सी.वी. रमण की कर्मस्थली रही है.

कुछ ऐसा था सीवी रमन के अकाउंटेंट से वैज्ञानिक बनने तक का सफर, मिला था विज्ञान का नोबेल पुरस्कार
डॉ. सी.वी. रमण
नई दिल्ली:

CV Raman Birth Anniversary: ज्ञान-विज्ञान और कला-साहित्य के लिए चर्चित महानगर कोलकाता सिटी ऑफ जॉय के साथ-साथ नोबेल विजेताओं का शहर भी है. छह में पांच क्षेत्रों के नोबेल विजेताओं का कोलकाता से किसी न किसी प्रकार से जुड़ाव रहा है. कोलकाता की धरती जहां पर इस समय भारत अंतर्राष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव का आयोजन चल रहा है वह भौतिक विज्ञान में भारत के प्रथम नोबेल विजेता डॉ. सी.वी. रमण (CV Raman) की कर्मस्थली रही है. इस शहर में उन्होंने नोबेल पुरस्कार हासिल करने की इबारत लिखी थी. यह एक बड़ा संयोग है सात नवंबर को उनकी जयंती है और देश-विदेश के वैज्ञानिक यहां जुटे हैं और विज्ञान व प्रौद्योगिकी की उपलब्धियों का उत्सव मना रहे हैं. चंद्रशेखर वेंकट रमण का सात नवंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में हुआ था. उनके पिता गणित और भौतिकी के प्राध्यापक थे.

विरासत में प्राप्त विज्ञान की प्रतिभा और अभिरुचि का ही परिणाम था कि 1906 में उनका पहला शोध पत्र लंदन की फिलॉसोफिकल पत्रिका में प्रकाशित हुआ. विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ने की सुविधा नहीं मिलने के कारण सी.वी. रमण ने सरकारी नौकरी का रुख किया. भारत सरकार के वित्त विभाग की प्रतियोगिता परीक्षा में प्रथम आने के बाद वह 1907 में असिस्टेंट अकाउटेंट जनरल बनकर कलकत्ता (कोलकाता) आए थे. लेकिन विज्ञान के प्रति उनका लगाव बना रहा और यहां वह इंडियन एशोसिएशन फार कल्टीवेशन आफ साइंस और कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्रयोगशालाओं में शोध करते रहे.

बाद में डॉ. रमण ने कलकत्ता विश्वविद्यालय में बतौर प्राध्यापक अपनी सेवा प्रदान की. उन्हें 1930 में भौतिकी में नोबेल पुरस्कार मिला. उनके अनुसंधान कार्य को रमण प्रभाव के रूप में जाना जाता है. हर साल 28 फरवरी को इसलिए राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाया जाता है क्योंकि 1928 के 28 फरवरी को ही उन्होंने 'रमण प्रभाव' की खोज की थी. सी. वी. रमण को 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. 21 नवंबर 1970 को महान वैज्ञानिक डॉ. सी. वी रमण चल बसे.

मालूम हो कि देश के पहले नोबेल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर का जन्मस्थल और कर्मस्थल दोनों कोलकाता ही है. शांति का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाली मदर टेरेसा की भी कर्मस्थली यहीं रही है. कोलकाता ने अमर्त्य सेन और अभिजीत बनर्जी के रूप में अर्थषास्त्र में दो नोबेल विजेता दिए हैं. इसके अलावा मलेरिया परजीवरी की खोज के लिए चिकित्सा का नोबल प्राप्त करने वाले रोनाल्ड रॉस ने भी कोलकाता में भी यह खोज की थी. रॉस को 1902 में नोबेल पुरस्कार मिला था, इस प्रकार, कोलकाता के पहले नोबेल विजेता रॉस ही थे.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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