COVID-19: कपिल सिब्बल ने कहा, ''सभी छात्रों को प्रमोट करें या फिर इंटरनल असेसमेंट मैकेनिज्म का इस्तेमाल करें''

सिब्बल ने एक इंटरव्यू में कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों को अकादमिक सत्र में देरी करने या न करने के बारे में निर्णय लेना होगा और उन्हें स्वायत्तता से यह फैसला लेना होगा. 

COVID-19: कपिल सिब्बल ने कहा, ''सभी छात्रों को प्रमोट करें या फिर इंटरनल असेसमेंट मैकेनिज्म का इस्तेमाल करें''

कपिल सिब्बल ने एक इंटरव्यू के दौरान यह बात कही.

नई दिल्ली:

कोरोनावायरस महामारी के मद्देनजर स्कूलों के 2020-2021 के शैक्षणिक सत्र के दौरान अनिश्चितता की स्थिति को देखते हुए, पूर्व मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने रविवार को कहा कि या तो 12वीं कक्षा के सभी छात्रों को अगले साल परीक्षा के तनाव से बचाने के लिए पदोन्नत किया जाए या फिर इंटरनल एसेसमेंट लाया जाए.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने यह भी सुझाव दिया कि स्कूलों और विश्वविद्यालयों दोनों में पाठ्यक्रमों को 2020-21 के शैक्षणिक सत्र के लिए कम किया जा सकता है और अध्यापक और छात्र समुदायों दोनों के प्रयास से अगले वर्ष महामारी के कारण खोए गए शिक्षण समय को कम किया जा सकता है.

सिब्बल ने एक इंटरव्यू में कहा कि विभिन्न विश्वविद्यालयों को अकादमिक सत्र में देरी करने या न करने के बारे में निर्णय लेना होगा और उन्हें स्वायत्तता से यह फैसला लेना होगा. UGC ने विश्वविद्यालयों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि नए छात्रों के लिए नया शैक्षणिक सत्र अगस्त से और मौजूदा छात्रों के लिए सितंबर से शुरू किया जाए.

हालांकि, यह कहा गया है कि दिशा-निर्देश को सलाह के तौर पर जारी किया गया है. साथ ही हर क्षेत्र में फैले कोविड-19 के मामलों और वहां लिए जा रहे निर्णयों के आधार पर ही इसका फैसला निर्भर करता है कि विश्वविद्यालय कब से शैक्षणिक सत्र शुरू करते हैं. 

कोरोनावायरस के चलते देशभर के सभी स्लूक बंद हैं. ऐसे में 2020-21 शैक्षणिक सत्र को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है. कोरोनावायरस के चलते कई स्कूलों में ऑनलाइन क्लासें भी ली जा रही हैं. हालांकि, इस बारे में बात करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा, ''आगे आने वाले वक्त में दो विकल्प हो सकते हैं, जिन्हें 12वीं क्लास के स्टूडेंट्स के लिए उचित माना जा सकता है''. 

उन्होंने कहा, ''एक तरीका यह है कि सबको प्रमोट किया जाए और कोरोनावायरस के खत्म होने के बाद उनकी एक्स्ट्रा क्लास ली जाए. साथ ही इस बात का ध्यान रखा जाए कि अगले साल उनका कोर्स पूरा कराया जाए. दूसरा तरीका यह है कि अगर आपको भरोसा है कि आपके शिक्षक सभी छात्रों के लिए ऑब्जेक्टिव असेसमेंट करेंगे तो आप इसे उन पर छोड़ सकते हैं और इंटरनल असेसमेंट के बाद, जिन छात्रों ने इसे पास किया हो उन्हें दूसरी क्लास में प्रमोट कर सकते हैं''. 

उन्होंने कहा, ''यह परीक्षा के तनाव से छात्रों को बचाएगा''. उन्होंने आगाह करते हुए कहा कि इंटरनल असेसमेंट से निष्पक्षता सुनिश्चित की जानी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय को ही इस तरह के मुद्दों पर फैसला करना चाहिए.

यूपीए की सरकार में मई 2009 से अक्टूबर 2012 तक मानव संसाधन विकास मंत्री रहे कपिल सिब्बल ने कहा कि नए तरीके खोजने चाहिए ताकि छात्रों को उन चीजों के लिए दंडित न किया जाए जिन पर उनका कोई नियंत्रण नहीं है. 

मानव संसाधन विकास मंत्री के रूप में, कपिल सिब्बल ने शिक्षा के क्षेत्र में एक सुधार प्रक्रिया की शुरुआत की थी जिसके तहत दसवीं कक्षा के लिए अनिवार्य सीबीएसई बोर्ड परीक्षा को समाप्त करने का निर्णय लिया गया था. हालांकि, 2018 में सीबीएसई 10वीं कक्षा के लिए अनिवार्य परीक्षा को वापस लाया गया था.

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राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने 10 वीं और 12वीं की सीबीएसई की लंबित परीक्षाओं के बारे में पूछे जाने पर कहा, ''मुझे लगता है कि 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं के सवाल पर फिर से सोचना चाहिए. कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा के लिए, मुझे लगता है कि महामारी के देखते हुए, इस साल के लिए विश्वविद्यालय का कैलेंडर बदलना चाहिए और उस संदर्भ में लॉकडाउन समाप्त होने की उम्मीद करनी चाहिए ताकी परीक्षा आयोजित की जा सकें."



(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)