जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय
नई दिल्ली:
प्रवेश परीक्षा फार्म के लिंग वाले कॉलम में ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए एक अन्य विकल्प शामिल करने के बाद जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) इस वर्ग के छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया में अब पांच अतिरिक्त अंक देने पर विचार कर रहा है।
प्रवेश परीक्षा फार्म के लिंग वाले कॉलम में ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए एक अन्य विकल्प शामिल करने के बाद जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) इस वर्ग के छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया में अब पांच अतिरिक्त अंक देने पर विचार कर रहा है।
अकादमिक काउन्सिल के समक्ष रखी जाएंगी सिफारिशें
ट्रांसजेंडर छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया को लेकर नीति तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय ने एक समिति गठित की है। समिति ने अपनी सिफारिशें दे दी हैं जिसे मंजूरी के लिए अकादमिक काउन्सिल के समक्ष रखा जाएगा।
जेएनयू प्रवेश प्रक्रिया नीति में पहले से ही महिलाओं, कश्मीरी प्रवासियों और रक्षा वर्ग आवेदकों के लिए पांच अतिरिक्त अंकों का प्रावधान है।
समिति के एक सदस्य ने बताया, ‘‘हमलोगों ने इस वर्ग में प्रवेश चाहने वाले छात्रों को पांच अतिरिक्त अंक देने का प्रस्ताव रखा है। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो वे भी वंचित वर्ग की श्रेणी में आ जाएंगे। ’’ उच्चतम न्यायालय ने 2014 में ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के तौर पर मान्यता प्रदान की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए प्रवेश फार्म में तीसरे लिंग का विकल्प रखना अनिवार्य कर दिया है।
जेएनयू ने एक कदम आगे बढ़ते हुए विद्यार्थी संघों के लिए होने वाले चुनाव के नामांकन पत्र में भी तीसरे लिंग का विकल्प उपलब्ध कराया है।
प्रवेश परीक्षा फार्म के लिंग वाले कॉलम में ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए एक अन्य विकल्प शामिल करने के बाद जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) इस वर्ग के छात्रों को प्रवेश प्रक्रिया में अब पांच अतिरिक्त अंक देने पर विचार कर रहा है।
अकादमिक काउन्सिल के समक्ष रखी जाएंगी सिफारिशें
ट्रांसजेंडर छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया को लेकर नीति तैयार करने के लिए विश्वविद्यालय ने एक समिति गठित की है। समिति ने अपनी सिफारिशें दे दी हैं जिसे मंजूरी के लिए अकादमिक काउन्सिल के समक्ष रखा जाएगा।
जेएनयू प्रवेश प्रक्रिया नीति में पहले से ही महिलाओं, कश्मीरी प्रवासियों और रक्षा वर्ग आवेदकों के लिए पांच अतिरिक्त अंकों का प्रावधान है।
समिति के एक सदस्य ने बताया, ‘‘हमलोगों ने इस वर्ग में प्रवेश चाहने वाले छात्रों को पांच अतिरिक्त अंक देने का प्रस्ताव रखा है। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो वे भी वंचित वर्ग की श्रेणी में आ जाएंगे। ’’ उच्चतम न्यायालय ने 2014 में ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के तौर पर मान्यता प्रदान की थी जिसके बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए प्रवेश फार्म में तीसरे लिंग का विकल्प रखना अनिवार्य कर दिया है।
जेएनयू ने एक कदम आगे बढ़ते हुए विद्यार्थी संघों के लिए होने वाले चुनाव के नामांकन पत्र में भी तीसरे लिंग का विकल्प उपलब्ध कराया है।
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