उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों को व्यवस्था के प्रति आस्था रखने की जरूरत है. चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘इन परीक्षाओं को कराने का फैसला सभी मौजूदा परिस्थितियों पर विचार करने के बाद किया गया. सरकार विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित कर रही है. परीक्षा में देरी का नकारात्मक असर होगा और इसलिए हम सभी को एकजुट होकर इसकी अहमियत समझनी चाहिए और व्यवस्था द्वारा बाधा रहित परीक्षा कराने का समर्थन करना चाहिए.''
आईआईटी खड़गपुर (IIT Kharagpur) के निदेशक वीरेंद्र तिवारी के मुताबिक, ‘‘उत्कृष्टता पाने में परीक्षा की वैश्विक प्रतिष्ठा है और इसे दुनिया की सबसे कठिन और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक माना जाता है. इन परीक्षाओं के लिए त्वरित विकल्प निश्चित रूप से प्रतिस्पर्धा के स्तर पर संतुष्ट करने वाला नहीं होगा.''
उन्होंने कहा कि विकल्प का इस्तेमाल आईआईटी प्रणाली की पूरी प्रवेश प्रक्रिया को कमजोर करने में किया जा सकता है, जो आईआईटी स्नाततक शिक्षा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. तिवारी ने कहा, ‘‘मैं विद्यार्थियों का आह्वान करता हूं कि वे इसे चुनौती के तौर पर लें और पूरी दुनिया को अपनी साहस और गंभीरता दिखाएं.''
आईआईटी संयुक्त प्रवेश बोर्ड (जेएबी) के सदस्य और आईआईटी रोपड़ (IIT Ropar) के निदेशक सरित कुमार दास ने कहा कि सितंबर में परीक्षा कराने का फैसला एक रात में नहीं लिया गया, बल्कि सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श कर किया गया. उन्होंने कहा, ‘‘ कुछ समय से हम परीक्षा कराने की संभावना पर विचार कर रहे थे. हमने अवंसरचना और छात्रों की सुरक्षा मसलन कैसे सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन कराया जाए और अन्य नियमों पर विचार किया. हमने न केवल आपस में चर्चा की बल्कि स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सबसे महत्वपूर्ण परीक्षा कराने वालों से चर्चा की.
दास ने कहा कि जनता को महामारी के बीच परीक्षा कराने के लिए की गई तैयारियों की जानकारी नहीं है. विशेषज्ञों ने सितंबर में उचित सुरक्षा, स्वास्थ्य उपाय के साथ परीक्षा कराने का तकनीकी फैसला लिया और सरकार ने उसका समर्थन किया. उन्होंने कहा, ‘‘यह धारणा पूरी तरह से गलत है कि सरकार ने एक रात में फैसला ले लिया और हम उसका अनुपालन कर रहे हैं.'' दास ने कहा कि कोई नहीं जानता कि तीन महीने बाद स्थिति क्या होगी और ‘शून्य अकादमिक सत्र' विद्यार्थियों और संस्थानों दोनों के लिए खराब होगा.
गौरतलब है कि स्नातक चिकित्सा पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए आयोजित होने वाली नीट परीक्षा (NEET Exam) 13 सितंबर को होनी है जबकि इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए जेईई-मेंस परीक्षा (JEE Main Exam) एक से छह सितंबर के बीच कराने की योजना है. दोनों परीक्षाओं में क्रमश: 15.97 लाख और 9.53 लाख छात्र पंजीकृत हैं. दोनों परीक्षाएं कोरोनावायरस महामारी की वजह से पहले ही दो बार स्थगित की जा चुकी हैं. जेईई-मेंस परीक्षा पहले सात से 11 अप्रैल के बीच होनी थी, जिसे स्थगित कर 18 से 23 जुलाई के बीच कराने की घोषणा की गई थी.
इसी प्रकार नीट परीक्षा तीन मई को होनी थी, जिसे टाल कर 26 जुलाई कर दिया गया. इसके बाद दोनों परीक्षाओं को एक बार फिर टाल दिया गया और अब सितंबर में ये परीक्षाएं होंगी. राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (NTA) के आंकड़ों के मुताबिक 17 लाख विद्यार्थी पहले ही इन दो परीक्षाओं के लिए प्रवेश पत्र डाउनलोड कर चुके हैं.
आईआईटी गांधीनगर के निदेशक सुधीर के जैन ने कहा, ‘‘इसमें कोई शक नहीं है कि हम इस महामारी की वजह से अभूतपूर्व वैश्चिक स्वास्थ्य संकट का सामना कर रहे हैं और विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की चिंता को समझा जा सकता है, लेकिन हमें विद्यार्थियों के भविष्य के बारे में भी सोचना होगा जो इसके लिए कई साल से तैयारी कर रहे हैं.''उन्होंने कहा, ‘‘लगता है कि यह महामारी प्रभावी टीके के आने तक रहेगी. इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि हम उचित व्यक्तिगत लक्ष्यों की ओर एक-एक कदम कर बढ़ना जारी रखें.''
आईआईटी गुवाहाटी के निदेशक टीजी सीताराम ने कहा, ‘‘ जेईई परीक्षा साल में दो बार होती है और जो छात्र इस बार परीक्षा नहीं दे सकेंगे, वे छह महीने बाद परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. परीक्षा की तैयारी कर चुके विद्यार्थियों की मेहनत को ध्यान में रखते हुए यह ठीक होगा कि निर्धारित समय पर ही परीक्षा हो. परीक्षा कराने में देरी से विद्यार्थियों के साथ-साथ आईआईटी पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा और वर्ष 2020 का सत्र बर्बाद हो जाएगा.''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)