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This Article is From Apr 13, 2020

Jallianwala Bagh Massacre: जल‍ियांवाला बाग हत्‍यकांड के बारे में जानिए ये 7 बातें

Jallianwala Bagh: जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश आर्मी ने बिना रुके लगभग 10 मिनट तक गोलियां बरसाईं. इस घटना में करीब 1,650 राउंड फायरिंग हुई थी. बताया जाता है कि सैनिकों के पास जब गोलियां खत्‍म हो गईं, तभी उनके हाथ रुके.

Jallianwala Bagh Massacre: जल‍ियांवाला बाग हत्‍यकांड के बारे में जानिए ये 7 बातें
Jallianwala Bagh: जलियांवाला बाग उन मासूमों की याद दिलाता है, जो अंग्रेज़ों के बुरे मंसूबों का श‍िकार हो गए थे.
नई दिल्ली:

जलियांवाला बाग हत्‍याकांड (Jallianwala Bagh Massacre) ब्रिटिश भारत के इतिहास का काला अध्‍याय है. 13 अप्रैल, 1919 को अंग्रेज अफसर जनरल डायर ने अमृतसर के जलियांवाला बाग में मौजूद निहत्‍थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं. इस हत्‍याकांड में सैंकड़ों लोग मारे गए थे, जबकि हजारों घायल हो गए. जिस दिन यह क्रूरतम घटना हुई, उस दिन बैसाखी (Baisakhi) थी. इसी हत्‍याकांड के बाद ब्रिटिश हुकूमत के अंत की शुरुआत हुई.  इसी के बाद देश को ऊधम सिंह जैसा क्रांतिकारी मिला और भगत सिंह के दिलों में समेत कई युवाओं में देशभक्ति की लहर दौड़ गई. 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल‍ियांवाला बाग हत्‍याकांड की बरसी पर उस घटना को याद करते हुए शहीदों को नमन किया. उन्‍होंने ट्वी करते हुए ल‍िखा, "जो लोग जलियांवाला बाग की घटना के दौरान शहीद हुए थे, मैं उन्हें नमन करता हूं. हम उनके बलिदान को कभी भी नहीं भूलेंगे, उनका त्याग आने वाले कई वर्षों तक देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा."

जानिए, जलियांवाला बाग हत्‍याकांड से जुड़ी 7 खास बातें...

1. अमृतसर के प्रसिद्ध् स्‍वर्ण मंदिर, यानी गोल्‍डन टेंपल से डेढ़ किलोमीटर दूर स्थित जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को रॉलेट एक्‍ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. उस दिन बैसाखी भी थी. जलियांवाला बाग में कई सालों से बैसाखी के दिन मेला भी लगता था, जिसमें शामिल होने के लिए उस दिन सैकड़ों लोग वहां पहुंचे थे. 

2. तब उस समय की ब्रिटिश आर्मी का ब्रिगेडियर जनरल रेजिनैल्‍ड डायर 90 सैनिकों को लेकर वहां पहुंच गया. सैनिकों ने बाग को घेरकर ब‍िना कोई चेतावनी दिए निहत्‍थे लोगों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं. वहां मौजूद लोगों ने बाहर निकलने की कोश‍िश भी की, लेकिन रास्‍ता बहुत संकरा था, और डायर के फौजी उसे रोककर खड़े थे. इसी वजह से कोई बाहर नहीं निकल पाया और हिन्दुस्तानी जान बचाने में नाकाम रहे. 

3. जनरल डायर के आदेश पर ब्रिटिश आर्मी ने बिना रुके लगभग 10 मिनट तक गोलियां बरसाईं. इस घटना में करीब 1,650 राउंड फायरिंग हुई थी. बताया जाता है कि सैनिकों के पास जब गोलियां खत्‍म हो गईं, तभी उनके हाथ रुके.

4. कई लोग जान बचाने के लिए बाग में बने कुएं में कूद गए थे, जिसे अब 'शहीदी कुआं' कहा जाता है. यह आज भी जलियांवाला बाग में मौजूद है और उन मासूमों की याद दिलाता है, जो अंग्रेज़ों के बुरे मंसूबों का श‍िकार हो गए थे.

5. जनरल डायर रॉलेट एक्‍ट का बहुत बड़ा समर्थक था, और उसे इसका विरोध मंज़ूर नहीं था. उसकी मंशा थी कि इस हत्‍याकांड के बाद भारतीय डर जाएंगे, लेकिन इसके ठीक उलट ब्रिटिश सरकार के खिलाफ पूरा देश आंदोलित हो उठा. 
हत्‍याकांड की पूरी दुनिया में आलोचना हुई. 

6. आखिरकार दबाव में भारत के लिए सेक्रेटरी ऑफ स्‍टेट एडविन मॉन्टेग्यू ने 1919 के अंत में इसकी जांच के लिए हंटर कमीशन बनाया. कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद डायर का डिमोशन कर उसे कर्नल बना दिया गया, और साथ ही उसे ब्रिटेन वापस भेज दिया गया.

7. हाउस ऑफ कॉमन्स ने डायर के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया, लेकिन हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने इस हत्‍याकांड की तारीफ करते हुए उसका प्रशस्ति प्रस्ताव पारित किया. बाद में दबाव में ब्रिटिश सकार ने उसका निंदा प्रस्‍ताव पारित किया. 1920 में डायर को इस्‍तीफा देना पड़ा. जलियांवाला बाग हत्‍याकांड का बदला लेने के लिए 13 मार्च, 1940 को ऊधम सिंह लंदन गए. वहां उन्‍होंने कैक्सटन हॉल में डायर को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया. ऊधम सिंह को 31 जुलाई, 1940 को फांसी पर चढ़ा दिया गया. उत्तराखंड के ऊधम सिंह नगर का नाम उन्‍हीं के नाम पर रखा गया है.

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