
नयी दिल्ली:
एक संसदीय पैनल ने आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी पर गुस्सा जताते हुये सरकार से कहा कि वह रिक्तियों को भरने के लिए कदम उठाये और शिक्षण के पेशे को और अधिक आकर्षण बनायें.
एक रिपोर्ट में भाजपा सांसद सत्यनारायण जटिया की अध्यक्षता में मानव संसाधन विकास पर संसद की स्थायी समिति ने उच्च शिक्षा विभाग से रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया तेज करने के लिए कहा है.
समिति ने इस पर गुस्सा जताया कि प्रतिष्ठित केन्द्रीय विश्वविद्यालयों से लेकर हाल में स्थापित विश्वविद्यालयों, राज्य या निजी विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम में कई पद रिक्त पड़े हैं.
31 सदस्यीय पैनल ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में और योग्य शिक्षक होना जरूरी है. निकट भविष्य में कोई सुधार ना दिखने से स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है.
समिति ने कहा, ‘‘दो संभावनाएं हो सकती है या तो हमारे युवा छात्र शिक्षक के पेशे की ओर आकर्षित नहीं है या भर्ती प्रक्रिया लंबित है और इसमें कई प्रक्रियागत औपचारिकताएं शामिल है.’’
एचआरडी मंत्रालय के तहत आने वाले उच्च शिक्षा विभाग का जिक्र करते हुये पैनल ने कहा कि यह पूरे देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र क लिए नोडल प्राधिकरण है और उसे मौजूदा रिक्तियों की भर्ती प्रक्रिया तेज करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये. पैनल ने यह भी सिफारिश की कि शिक्षण के पेश को अधिक आकषर्क बनाने के लिए फैकल्टी सदस्यों को सलाहकारी संस्था की मदद देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिये और उन्हें अपना काम शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता भी देनी चाहिये.
एचआरडी मंत्रालय ने गत वर्ष दिसंबर में संसद में बताया था कि विभिन्न केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के 1,310 पद खाली पड़े हैं.
हाल ही में संपन्न संसद सत्र में एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों के ज्यादातर रिक्त पदों को इस वर्ष भरा जाएगा.
गौरतलब है कि यूजीसी पोषित विभिन्न केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 17,006 पदों में से 6,080 पद एक अक्तूबर 2016 से रिक्त हैं.
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में छात्रों में रोजगार के कौशल की कमी पर भी चिंता जतायी और सरकार से इस पर कदम उठाने के लिए कहा है.
एक रिपोर्ट में भाजपा सांसद सत्यनारायण जटिया की अध्यक्षता में मानव संसाधन विकास पर संसद की स्थायी समिति ने उच्च शिक्षा विभाग से रिक्तियों को भरने की प्रक्रिया तेज करने के लिए कहा है.
समिति ने इस पर गुस्सा जताया कि प्रतिष्ठित केन्द्रीय विश्वविद्यालयों से लेकर हाल में स्थापित विश्वविद्यालयों, राज्य या निजी विश्वविद्यालयों, आईआईटी और आईआईएम में कई पद रिक्त पड़े हैं.
31 सदस्यीय पैनल ने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए पर्याप्त संख्या में और योग्य शिक्षक होना जरूरी है. निकट भविष्य में कोई सुधार ना दिखने से स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है.
समिति ने कहा, ‘‘दो संभावनाएं हो सकती है या तो हमारे युवा छात्र शिक्षक के पेशे की ओर आकर्षित नहीं है या भर्ती प्रक्रिया लंबित है और इसमें कई प्रक्रियागत औपचारिकताएं शामिल है.’’
एचआरडी मंत्रालय के तहत आने वाले उच्च शिक्षा विभाग का जिक्र करते हुये पैनल ने कहा कि यह पूरे देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र क लिए नोडल प्राधिकरण है और उसे मौजूदा रिक्तियों की भर्ती प्रक्रिया तेज करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिये. पैनल ने यह भी सिफारिश की कि शिक्षण के पेश को अधिक आकषर्क बनाने के लिए फैकल्टी सदस्यों को सलाहकारी संस्था की मदद देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिये और उन्हें अपना काम शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता भी देनी चाहिये.
एचआरडी मंत्रालय ने गत वर्ष दिसंबर में संसद में बताया था कि विभिन्न केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के 1,310 पद खाली पड़े हैं.
हाल ही में संपन्न संसद सत्र में एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों के ज्यादातर रिक्त पदों को इस वर्ष भरा जाएगा.
गौरतलब है कि यूजीसी पोषित विभिन्न केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 17,006 पदों में से 6,080 पद एक अक्तूबर 2016 से रिक्त हैं.
पैनल ने अपनी रिपोर्ट में छात्रों में रोजगार के कौशल की कमी पर भी चिंता जतायी और सरकार से इस पर कदम उठाने के लिए कहा है.
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