
इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद:
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) द्वारा ली गई एक परीक्षा के नतीजों को चुनौती देने वाली याचिकाकाओं को खारिज कर दिया है। लेकिन कोर्ट ने आयोग को भविष्य में परीक्षाओं के लिए प्रश्नपत्र तैयार करते समय अधिक सावधान रहने को कहा है।
यह परीक्षा इस साल जुलाई में यूपीपीएससी ने ली थी। न्यायमूर्ति वीके शुक्ला और न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की सदस्यता वाली एक खंड पीठ ने गुलाब चंद भारती, आर्य सुमन पांडे और कई अन्य लोगों की याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश जारी किया। इन लोगों ने सहायक अभियोजन अधिकारियों के चयन के लिए 26 जुलाई को ली गई प्रारंभिक परीक्षाओं के नतीजे को चुनौती दी थी।
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मांगी थी मुख्य परीक्षा में शामिल होने की इजाजत
आयोग ने कुल 372 पदों का विज्ञापन दिया था और याचिकाकताओं ने प्रारंभिक (प्री) परीक्षा के प्रश्नपत्र में खामियां होने का जिक्र करते हुए मुख्य परीक्षा में अस्थायी रूप से शामिल होने की इजाजत मांगी थी जो 27-28 दिसंबर को होनी है।
अदालत का यह भी मानना है कि बहुविकल्पी प्रश्नपत्र के सिलसिले में उम्मीदवारों के ऐतराज जताए जाने के मद्देनजर आयोग ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की और इसकी सिफारिशों के आधार पर चार सवाल हटा दिए गए।
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आयोग की दी भविष्य में सावधान रहने की नसीहत
अदालत ने कहा कि इस तरह, ‘‘हमने परीक्षकों द्वारा कोई गलत मूल्यांकन नहीं पाया और इसलिए याचिकाओं का कोई आधार नहीं बनता।’’ हालांकि अपनी टिप्पणी में अदालत ने कहा कि भविष्य में परीक्षाएं लेते समय आयोग को कहीं अधिक सावधान रहना चाहिए।
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पीठ ने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि आयोग अपने द्वारा भविष्य में ली जानी वाली परीक्षाओं के प्रश्न पत्र तैयार करने के दौरान कहीं अधिक सावधान रहेगा।’’
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यह परीक्षा इस साल जुलाई में यूपीपीएससी ने ली थी। न्यायमूर्ति वीके शुक्ला और न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की सदस्यता वाली एक खंड पीठ ने गुलाब चंद भारती, आर्य सुमन पांडे और कई अन्य लोगों की याचिकाओं को खारिज करते हुए यह आदेश जारी किया। इन लोगों ने सहायक अभियोजन अधिकारियों के चयन के लिए 26 जुलाई को ली गई प्रारंभिक परीक्षाओं के नतीजे को चुनौती दी थी।
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मांगी थी मुख्य परीक्षा में शामिल होने की इजाजत
आयोग ने कुल 372 पदों का विज्ञापन दिया था और याचिकाकताओं ने प्रारंभिक (प्री) परीक्षा के प्रश्नपत्र में खामियां होने का जिक्र करते हुए मुख्य परीक्षा में अस्थायी रूप से शामिल होने की इजाजत मांगी थी जो 27-28 दिसंबर को होनी है।
अदालत का यह भी मानना है कि बहुविकल्पी प्रश्नपत्र के सिलसिले में उम्मीदवारों के ऐतराज जताए जाने के मद्देनजर आयोग ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित की और इसकी सिफारिशों के आधार पर चार सवाल हटा दिए गए।
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आयोग की दी भविष्य में सावधान रहने की नसीहत
अदालत ने कहा कि इस तरह, ‘‘हमने परीक्षकों द्वारा कोई गलत मूल्यांकन नहीं पाया और इसलिए याचिकाओं का कोई आधार नहीं बनता।’’ हालांकि अपनी टिप्पणी में अदालत ने कहा कि भविष्य में परीक्षाएं लेते समय आयोग को कहीं अधिक सावधान रहना चाहिए।
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