नयी दिल्ली:
केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (केब) की 25 अक्तूबर को होने वाली बैठक में 10वीं बोर्ड परीक्षा को फिर से अनिवार्य बनाने के सुझाव पर विचार करने के साथ स्कूलों में शिक्षकों एवं प्राचार्यो के रिक्त पदों को भरने, पठन पाठन के स्तर को बेहतर बनाने, तनावमुक्त माहौल में शिक्षा जैसे विषयों पर गहन विचार विमर्श करके आमराय कायम करने का प्रयास किया जायेगा.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि मंगलवार को केब बैठक की कार्यसूची में 10वीं बोर्ड परीक्षा अनिवार्य बनाने, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाने, सीखने की प्रवृत्ति में सुधार करने, नेशनल एचीवमेंट सर्वे पर विचार करने, माध्यमिक स्तर की कक्षाओं में व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार करने, शिक्षा को तनावमुक्त बनाने जैसे बिन्दु शामिल हैं. इन पर राज्यों के विचार जानने के बाद सरकार आगे कदम बढ़ाएगी.
बैठक का सबसे महत्वपूर्ण विषय सीबीएसई 10वीं में बोर्ड की परीक्षा को अनिवार्य बनाने के सुझाव पर विचार करने का है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस मुद्दे पर राज्यों की इच्छा जानेगी.
सीबीएसई ने इस विषय पर आनलाइन सर्वे कराया था और विभिन्न पक्षों की बेबाक राय जानने का प्रयास किया था . इसमें यह विचार प्रमुखता से सामने आया था कि 10वीं बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बनाने के कारण छात्र इसके लिए अलग से तैयारी नहीं करते और परीक्षा को हल्के में लेते हैं.
इसके अलावा नयी शिक्षा नीति 2016 के सुझावों में भी 2017-18 से 10वीं बोर्ड को अनिवार्य बनाने की दिशा में पहल करने की बात कही गई है.
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे छात्रों को नुकसान हो रहा है. अगर 10वीं में बोर्ड होगा तो बच्चे खुद को 12वीं की परीक्षा के लिए बेहतर तैयार कर पाएंगे.
बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूलों के निकट स्थापित करने की योजना पर विचार किया जायेगा. इसका मकसद यह है कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-स्कूलिंग केंद्र के रूप में विकसित किया जाए . लेकिन इसके लिए सबसे पहले उन्हें स्कूलों में या स्कूलों के साथ खोलना होगा. दरअसल, इसी बैठक में शिक्षा के अधिकार कानून को प्री-प्राइमरी तक विस्तारित करने के प्रस्ताव पर विचार किया जायेगा.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा है कि मंगलवार को केब बैठक की कार्यसूची में 10वीं बोर्ड परीक्षा अनिवार्य बनाने, ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को युक्तिसंगत बनाने, सीखने की प्रवृत्ति में सुधार करने, नेशनल एचीवमेंट सर्वे पर विचार करने, माध्यमिक स्तर की कक्षाओं में व्यावसायिक शिक्षा का विस्तार करने, शिक्षा को तनावमुक्त बनाने जैसे बिन्दु शामिल हैं. इन पर राज्यों के विचार जानने के बाद सरकार आगे कदम बढ़ाएगी.
बैठक का सबसे महत्वपूर्ण विषय सीबीएसई 10वीं में बोर्ड की परीक्षा को अनिवार्य बनाने के सुझाव पर विचार करने का है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस मुद्दे पर राज्यों की इच्छा जानेगी.
सीबीएसई ने इस विषय पर आनलाइन सर्वे कराया था और विभिन्न पक्षों की बेबाक राय जानने का प्रयास किया था . इसमें यह विचार प्रमुखता से सामने आया था कि 10वीं बोर्ड परीक्षा को वैकल्पिक बनाने के कारण छात्र इसके लिए अलग से तैयारी नहीं करते और परीक्षा को हल्के में लेते हैं.
इसके अलावा नयी शिक्षा नीति 2016 के सुझावों में भी 2017-18 से 10वीं बोर्ड को अनिवार्य बनाने की दिशा में पहल करने की बात कही गई है.
शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे छात्रों को नुकसान हो रहा है. अगर 10वीं में बोर्ड होगा तो बच्चे खुद को 12वीं की परीक्षा के लिए बेहतर तैयार कर पाएंगे.
बैठक में ग्रामीण क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों को स्कूलों के निकट स्थापित करने की योजना पर विचार किया जायेगा. इसका मकसद यह है कि आंगनबाड़ी केंद्रों को प्री-स्कूलिंग केंद्र के रूप में विकसित किया जाए . लेकिन इसके लिए सबसे पहले उन्हें स्कूलों में या स्कूलों के साथ खोलना होगा. दरअसल, इसी बैठक में शिक्षा के अधिकार कानून को प्री-प्राइमरी तक विस्तारित करने के प्रस्ताव पर विचार किया जायेगा.
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