मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर
नयी दिल्ली:
शेयर डिपाजिटरी की तर्ज पर अगले तीन माह में एक राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपाजिटरी (एनएडी) कायम की जाएगी. इस डिपाजिटरी में उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा दिये जाने वाले शिक्षा प्रमाणपत्र, डिग्रियों और अन्य शैक्षणिक पुरस्कारों को डिजिटल आधार पर संग्रहित किया जाएगा. केन्द्रीय कैबिनेट ने मानव संसाधन मंत्रालय के इससे संबंधित एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
इस कदम से जाली प्रमाणपत्रों एवं डिग्रियों की समस्या पर लगाम लगने की संभावना है.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय किया कि डिपाजिटरी को अगले तीन माह के बाद स्थापित और परिचालित किया जाएगा तथा 2017-18 तक इसे पूरे देश में प्रभावी कर दिया जाएगा.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘‘कैबिनेट ने एनएडी की स्थापना को आज मंजूरी दे दी. यह वास्तव में उच्च शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि इससे पारदर्शिता आएगी.’’ उन्होंने यह भी कहा कि डिग्रियों से छेड़छाड़ एवं जाली प्रमाणपत्र विगत की बात बन जाएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि न केवल वर्तमान एवं भविष्य बल्कि पूर्व में जारी प्रमाणपत्रों को डिपाजिटरी में रखा जाएगा.
कैबिनेट बैठक के बाद जारी एक बयान में यहां कहा गया कि वित्त मंत्री के बजट भाषण में शेयर डिपाजिटरी की तर्ज पर उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा दिये जाने वाले शिक्षा प्रमाणपत्र, डिग्रियों और अन्य शैक्षणिक पुरस्कारों को डिजिटल आधार पर संग्रहित करने के लिए डिजिटल डिपाजिटरी स्थापित करने की घोषणा की गयी थी.
बयान में कहा गया, ‘‘इस निर्णय का उद्देश्य डिजिटल भारत के स्वप्न को एक अन्य आयाम तक पहुंचाना और बढ़ावा देना है. ’’
एनएडी को एनएसडीएल डाटाबेस मैनेजमेंट लिमिटेड (एनडीएमएल) और सीडीएसएल वेंचर्स लिमिटेड (सीवीएल) परिचालित करेगी. ये दोनों भारतीय प्रतिभूति एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत डिपाजिटरी की पूरी तरह स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां हैं. इसमें डिजिटल आधार पर संग्रहित डाटा की प्रामाणिकता के लिए वह शैक्षिणक संस्थान जिम्मेदार होगा जो इसे प्रणाली में अपलोड करेगा.
डिपाजिटरी एनएडी में संग्रहित होने वाले आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. एनएडी शिक्षण संस्थानों, बोडों, योग्यता आकलन निकायों, छात्रों तथा अन्य उपयोगकर्ताओं को पंजीकृत करेंगे. इसमें बैंकों, नियोक्ता कंपनियों, सरकारी एजेंसियों एवं शैक्षणिक संस्थानों जैसे पुष्टि करने वाले निकाय भी होंगे.
इस कदम से जाली प्रमाणपत्रों एवं डिग्रियों की समस्या पर लगाम लगने की संभावना है.
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निर्णय किया कि डिपाजिटरी को अगले तीन माह के बाद स्थापित और परिचालित किया जाएगा तथा 2017-18 तक इसे पूरे देश में प्रभावी कर दिया जाएगा.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा, ‘‘कैबिनेट ने एनएडी की स्थापना को आज मंजूरी दे दी. यह वास्तव में उच्च शिक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि इससे पारदर्शिता आएगी.’’ उन्होंने यह भी कहा कि डिग्रियों से छेड़छाड़ एवं जाली प्रमाणपत्र विगत की बात बन जाएगी.
उन्होंने यह भी कहा कि न केवल वर्तमान एवं भविष्य बल्कि पूर्व में जारी प्रमाणपत्रों को डिपाजिटरी में रखा जाएगा.
कैबिनेट बैठक के बाद जारी एक बयान में यहां कहा गया कि वित्त मंत्री के बजट भाषण में शेयर डिपाजिटरी की तर्ज पर उच्च शिक्षा संस्थानों द्वारा दिये जाने वाले शिक्षा प्रमाणपत्र, डिग्रियों और अन्य शैक्षणिक पुरस्कारों को डिजिटल आधार पर संग्रहित करने के लिए डिजिटल डिपाजिटरी स्थापित करने की घोषणा की गयी थी.
बयान में कहा गया, ‘‘इस निर्णय का उद्देश्य डिजिटल भारत के स्वप्न को एक अन्य आयाम तक पहुंचाना और बढ़ावा देना है. ’’
एनएडी को एनएसडीएल डाटाबेस मैनेजमेंट लिमिटेड (एनडीएमएल) और सीडीएसएल वेंचर्स लिमिटेड (सीवीएल) परिचालित करेगी. ये दोनों भारतीय प्रतिभूति एक्सचेंज बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत डिपाजिटरी की पूरी तरह स्वामित्व वाली सहायक कंपनियां हैं. इसमें डिजिटल आधार पर संग्रहित डाटा की प्रामाणिकता के लिए वह शैक्षिणक संस्थान जिम्मेदार होगा जो इसे प्रणाली में अपलोड करेगा.
डिपाजिटरी एनएडी में संग्रहित होने वाले आंकड़ों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे. एनएडी शिक्षण संस्थानों, बोडों, योग्यता आकलन निकायों, छात्रों तथा अन्य उपयोगकर्ताओं को पंजीकृत करेंगे. इसमें बैंकों, नियोक्ता कंपनियों, सरकारी एजेंसियों एवं शैक्षणिक संस्थानों जैसे पुष्टि करने वाले निकाय भी होंगे.
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