स्कूल, कॉलेज के पाठ्यक्रमों की पढ़ाई से लेकर यूपीएससी और जेईई जैसी बड़ी परीक्षाओं की तैयारी एक प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराना काफी चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन आईआईटी से इंजीनियरिंग करने वाले कुछ युवाओं ने इस बात को सच कर दिखाया और उनका दावा है कि दो साल से कम समय में इस इंटरनेट प्लेटफॉर्म से करीब सात लाख लोग जुड़ चुके हैं.
पढ़ भी सकते हैं और पढ़ा भी सकते हैं
‘इकोवेशन’ नाम के इस सोशल लर्निंग प्लेटफॉर्म पर अलग अलग प्रशिक्षण ग्रुप बनाए जा सकते हैं. आप अगर किसी विषय के बारे में पढ़ाना चाहते हैं तो भी इस मंच से जुड़ सकते हैं और पढ़ना चाहते हैं या किसी परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं तो भी इस प्लेटफॉर्म का फायदा उठा सकते हैं. इंटरनेट पर इकोवेशन की वेबसाइट पर जाकर या इसके मोबाइल ऐप के जरिए इससे जुडा़ जा सकता है.
विदेश से लिया अनुभव
बिहार के छपरा के रहने वाले रितेश सिंह ने 2012 में आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई पूरी की और कुछ महीने एक विदेशी कंपनी में नौकरी करने के बाद अपने कुछ साथियों के साथ ‘इकोवेशन’ नाम के इस आइडिया को उसका पूरा रूप दिया. रितेश ने बताया कि उन्होंने अपने दोस्त अक्षत के साथ मिलकर इस अवधारणा में औद्योगिक परियोजनाओं के अनुभव हासिल करने के लिए कुछ समय विदेश में नौकरी करने का फैसला लिया और बाद में भारत में आकर ‘इकोवेशन’ को लोगों के सामने उतारा.
यहां बनाएं अपना ग्रुप
उन्होंने बताया कि इस इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर अलग अलग विषयों के लर्निंग ग्रुप्स हैं जिनमें लोग अपनी जरूरत के हिसाब से पढ़ सकते हैं. यहां शिक्षक भी अपने विषयों के लर्निंग ग्रुप बना सकते हैं इसके जरिए जहां केजी क्लास के बच्चे स्कूली पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ युवा यूपीएससी, एसएससी, बैंक पीओ जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर रहे हैं. इसके साथ ही आईआईटी, मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की तैयारी भी यहां से की जा सकती है. अलग अलग ग्रुप्स में उस विषय से संबंधित पूरा स्लेबस, विशेषज्ञों के वीडियो लेक्चर, क्विज आदि सब कुछ हैं. इसके अलावा यहां छात्र अपनी समस्याओं का निदान भी शिक्षकों की मदद से कर सकते हैं.
शिक्षा में तकनीकी मदद कारगर
रितेश ने बताया कि उन्होंने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के कई स्कूलों में जाकर चीजों को और शिक्षा के स्तर को समझने की कोशिश की. उन्होंने कहा, शिक्षा के परंपरागत मॉडल में शिक्षक सौ से डेढ़ सौ लोगों को ही सही से पढ़ा सकते हैं. हमारे देश में सभी जगह सीमित शिक्षक हैं और गुणवत्ता वाली शिक्षा की बहुत बड़ी जरूरत है. इसीलिए हमें लगा कि इसके लिए तकनीकी मदद बहुत कारगर हो सकती है. हमने तुरंत अपने मॉडल की अवधारणा तैयार की और सोशल लर्निंग प्लेटफार्म की मदद शिक्षा के क्षेत्र में लेने पर काम शुरू किया. इकोवेशन की शुरूआत दिसंबर 2015 में की गई.
पढ़ भी सकते हैं और पढ़ा भी सकते हैं
‘इकोवेशन’ नाम के इस सोशल लर्निंग प्लेटफॉर्म पर अलग अलग प्रशिक्षण ग्रुप बनाए जा सकते हैं. आप अगर किसी विषय के बारे में पढ़ाना चाहते हैं तो भी इस मंच से जुड़ सकते हैं और पढ़ना चाहते हैं या किसी परीक्षा की तैयारी करना चाहते हैं तो भी इस प्लेटफॉर्म का फायदा उठा सकते हैं. इंटरनेट पर इकोवेशन की वेबसाइट पर जाकर या इसके मोबाइल ऐप के जरिए इससे जुडा़ जा सकता है.
विदेश से लिया अनुभव
बिहार के छपरा के रहने वाले रितेश सिंह ने 2012 में आईआईटी दिल्ली से पढ़ाई पूरी की और कुछ महीने एक विदेशी कंपनी में नौकरी करने के बाद अपने कुछ साथियों के साथ ‘इकोवेशन’ नाम के इस आइडिया को उसका पूरा रूप दिया. रितेश ने बताया कि उन्होंने अपने दोस्त अक्षत के साथ मिलकर इस अवधारणा में औद्योगिक परियोजनाओं के अनुभव हासिल करने के लिए कुछ समय विदेश में नौकरी करने का फैसला लिया और बाद में भारत में आकर ‘इकोवेशन’ को लोगों के सामने उतारा.
यहां बनाएं अपना ग्रुप
उन्होंने बताया कि इस इंटरनेट प्लेटफॉर्म पर अलग अलग विषयों के लर्निंग ग्रुप्स हैं जिनमें लोग अपनी जरूरत के हिसाब से पढ़ सकते हैं. यहां शिक्षक भी अपने विषयों के लर्निंग ग्रुप बना सकते हैं इसके जरिए जहां केजी क्लास के बच्चे स्कूली पाठ्यक्रम की पढ़ाई कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ युवा यूपीएससी, एसएससी, बैंक पीओ जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की भी तैयारी कर रहे हैं. इसके साथ ही आईआईटी, मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश की तैयारी भी यहां से की जा सकती है. अलग अलग ग्रुप्स में उस विषय से संबंधित पूरा स्लेबस, विशेषज्ञों के वीडियो लेक्चर, क्विज आदि सब कुछ हैं. इसके अलावा यहां छात्र अपनी समस्याओं का निदान भी शिक्षकों की मदद से कर सकते हैं.
शिक्षा में तकनीकी मदद कारगर
रितेश ने बताया कि उन्होंने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के कई स्कूलों में जाकर चीजों को और शिक्षा के स्तर को समझने की कोशिश की. उन्होंने कहा, शिक्षा के परंपरागत मॉडल में शिक्षक सौ से डेढ़ सौ लोगों को ही सही से पढ़ा सकते हैं. हमारे देश में सभी जगह सीमित शिक्षक हैं और गुणवत्ता वाली शिक्षा की बहुत बड़ी जरूरत है. इसीलिए हमें लगा कि इसके लिए तकनीकी मदद बहुत कारगर हो सकती है. हमने तुरंत अपने मॉडल की अवधारणा तैयार की और सोशल लर्निंग प्लेटफार्म की मदद शिक्षा के क्षेत्र में लेने पर काम शुरू किया. इकोवेशन की शुरूआत दिसंबर 2015 में की गई.
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