नयी दिल्ली:
10 लाख लोगों को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत इंजीनियरिंग कॉलेज की फैकल्टी स्कूल छोड़ने वाले युवकों सहित बेरोजगार युवकों को प्रशिक्षण मुहैया कराएंगे ताकि अगले तीन साल में वे काम करने योग्य हो जाएं।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ‘प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा पीएमकेवीवाई’ योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के व्यापक दायरे में आएगी।
योजना का एक प्रमुख पहलू यह है कि इसमें उम्मीदवारों के लिए आयु की कोई सीमा नहीं होगी। उन्हें न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जाएगा बल्कि उनकी नौकरी पाने में मदद की जाएगी और काउंसेलिंग भी दी जाएगी।
अकादमिक वर्ष 2016-17 से शुरू हो रही इस योजना में 2,500 कॉलेजों को चुना जा रहा है। प्रत्येक कॉलेज में 100 लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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अधिकारियों ने बताया कि अगले अकादमिक वर्ष में कॉलेजों की संख्या बढ़ कर 3000 और 2018-19 में 5,000 हो जाएगी। कम से कम 10,12,500 युवकों को कौशल और प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इससे उन्हें रोजगार हासिल करने में मदद मिलेगी।
एक अधिकारी ने बताया कि प्रौद्योगिक संस्थान कॉलेज के बाद का वक्त इस्तेमाल करेंगे। इस तरह ये संस्थान को अपने बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल कर सकेंगे और राष्ट्रीय कौशल योग्यता खाका (एनएसक्यूएफ) के तहत बेरोजगार युवक पर्याप्त कौशल प्राप्त कर सकेंगे। इससे रोजगार पाने या खुद कारोबार करने का मौका मिलेगा। अधिकारियों के अनुसार इस योजना के तहत केन्द्र प्रशिक्षण मुहैया कराने के लिए संस्थानों को सीधे कोष जारी करेगा।
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ऑल इंडिया कांउसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के तहत आने वाले कॉलेजों और पोलीटेक्निक्स में इस योजना को लागू करने की संभावना है।
एआईसीटीई इस योजना के लिए दिशा निर्देश लेकर आई है और कई संस्थानों ने इसके लिए आवेदन भी किया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव वीएस ओबरॉय की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय स्तर की समिति योजना के क्रियान्वयन पर निगरानी रखेगी। इसके अलावा राज्य समितियां भी होंगी।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ‘प्रौद्योगिकी संस्थानों द्वारा पीएमकेवीवाई’ योजना प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के व्यापक दायरे में आएगी।
योजना का एक प्रमुख पहलू यह है कि इसमें उम्मीदवारों के लिए आयु की कोई सीमा नहीं होगी। उन्हें न सिर्फ प्रशिक्षण दिया जाएगा बल्कि उनकी नौकरी पाने में मदद की जाएगी और काउंसेलिंग भी दी जाएगी।
अकादमिक वर्ष 2016-17 से शुरू हो रही इस योजना में 2,500 कॉलेजों को चुना जा रहा है। प्रत्येक कॉलेज में 100 लोगों को कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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अधिकारियों ने बताया कि अगले अकादमिक वर्ष में कॉलेजों की संख्या बढ़ कर 3000 और 2018-19 में 5,000 हो जाएगी। कम से कम 10,12,500 युवकों को कौशल और प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इससे उन्हें रोजगार हासिल करने में मदद मिलेगी।
एक अधिकारी ने बताया कि प्रौद्योगिक संस्थान कॉलेज के बाद का वक्त इस्तेमाल करेंगे। इस तरह ये संस्थान को अपने बुनियादी ढांचे का इस्तेमाल कर सकेंगे और राष्ट्रीय कौशल योग्यता खाका (एनएसक्यूएफ) के तहत बेरोजगार युवक पर्याप्त कौशल प्राप्त कर सकेंगे। इससे रोजगार पाने या खुद कारोबार करने का मौका मिलेगा। अधिकारियों के अनुसार इस योजना के तहत केन्द्र प्रशिक्षण मुहैया कराने के लिए संस्थानों को सीधे कोष जारी करेगा।
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ऑल इंडिया कांउसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के तहत आने वाले कॉलेजों और पोलीटेक्निक्स में इस योजना को लागू करने की संभावना है।
एआईसीटीई इस योजना के लिए दिशा निर्देश लेकर आई है और कई संस्थानों ने इसके लिए आवेदन भी किया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव वीएस ओबरॉय की अध्यक्षता में एक राष्ट्रीय स्तर की समिति योजना के क्रियान्वयन पर निगरानी रखेगी। इसके अलावा राज्य समितियां भी होंगी।
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