देवदर्शदीप कैसे बने पंजाब सिविल सेवा परीक्षा में नंबर वन?

पटियाला के रहने वाले 24 साल के देवदर्शदीप ने पहला स्थान बिना किसी कोचिंग के अपने प्रयास में हासिल किया

देवदर्शदीप कैसे बने पंजाब सिविल सेवा परीक्षा में नंबर वन?

देवदर्शदीप ने पंजाब सिविल सेवा परीक्षा में पहला स्थान हासिल किया है.

नई दिल्ली:

“शेरा दी कौम पंजाबी” ये पंक्तियां सिर्फ़ फ़िल्मी गानों तक ही नहीं सिमटी हैं, आपको आम जिंदगी में भी ऐसी कई मिसालें मिल जाएंगी. पंजाब पब्लिक सर्विस कमीशन की सिविल सेवा परीक्षा में पहले नंबर पर आए देवदर्शदीप ने भी कुछ ऐसा ही कर दिखाया है. पटियाला के रहने वाले 24 साल के देवदर्शदीप ने ये स्थान बिना किसी कोचिंग के अपने प्रयास में हासिल किया है. इतना ही नहीं, वे इस बार हुई इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में भी रैंक 12 लाकर अपना बेहतरीन प्रदर्शन कर चुके हैं.

एनडीटीवी से बातचीत में देवदर्शदीप ने कहा कि किसी को भी सिविल सर्विसेज में आने के पहले ये बात जरूर सोचनी चाहिए कि आखिर वो ऐसा क्यों करना चाहता है. अगर कोई सिर्फ पावर के लिए या फिर दूसरों को अपनी कामयाबी दिखाने की नियत से ऐसा करता है तो ये गलत है. देव मानते हैं कि आपका मकसद  दूसरों की सेवा करना या उनकी जिंदगी को बेहतर करने का हो तभी किसी को इसका लक्ष्य रखना चाहिए.

देवदर्शदीप ने साल 2016 में आईआईटी दिल्ली से सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और इस परीक्षा की तैयारी में जुट गए. इसके लिए उन्होंने पिछले साल के प्रश्न पत्रों को आधार बनाया फिर नियमित अध्ययन के जरिए अपनी पहली ही कोशिश में अव्वल आ गए.  उनका मानना है कि जुनून, सकारात्मकता और दृढ़ता से  इस मुश्किल लक्ष्य में भी सफ़लता प्राप्त की जा सकती हैं. देवदर्शदीप को पहेलियां सुलझाना बेहद पसंद है और इसके अलावा वे पढ़ाने में भी खासी दिलचस्पी रखते हैं.

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अपनी कामयाबी से परिवार और पटियाला का नाम रोशन करने वाले देवदर्शदीप के पिता डॉ दर्शन सिंह अष्ट बच्चों की कहानी के जाने माने लेखक हैं और उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है. उनकी माताजी पंजाब यूनिवर्सिटी में पंजाबी भाषा की प्रोफेसर हैं. देवदर्श दीप की ये कामयाबी अपने लक्ष्य को लेकर संघर्ष कर रहे नौजवानों के मन में जहां एक उम्मीद जगाती है वहीं हौसला भी देती है.