दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन के दौरान बहुत से छात्र एक दुविधा में उलझे रहते हैं। वह असमंजस में होते हैं कि कटऑफ में वह अच्छे कॉलेज को चुनें या फिर कोर्स को। क्योंकि उनके उतने नंबर नहीं होते कि मनपसंद कॉलेज में मनपसंद कोर्स मिल जाए। इसके अलावा डीयू की कटऑफ भी इतनी हाई रहती है कि 95 फीसदी से ऊपर एग्रीगेट होने पर भी विद्यार्थियों को अपने ड्रीम कॉलेज में उस कोर्स में दाखिला नहीं मिल पाता जिसमें उसकी रुचि है। ऐसे में सवाल उठता है कि किससे समझौता किया जाए कॉलेज से या कोर्स से?
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दरअसल बहुत से एक्सपर्ट्स ऐसा मानते हैं कि कॉलेज और कोर्स का चयन पूरी तरह छात्र की प्राथमिकता पर निर्भर करता है। अगर छात्र सिर्फ डिग्री हासिल करना चाहता है तो उसे अच्छे व प्रतिष्ठित कॉलेज को महत्व देना चाहिए। लेकिन अगर छात्र किसी विशेष फील्ड में जाना चाहता है और उसी में अपनी करियर बनाना चाहता है तो उसे कोर्स को महत्व देना चाहिए। मसलन अगर कोई छात्र कंप्यूटर साइंस की फील्ड में अपना करियर बनाना चाहता है और मार्क्स कम होने की वजह से इस कोर्स में हंसराज जैसे मशहूर कॉलेज में दाखिला नहीं ले पा रहा है तो ऐसी स्थिति में उसे किसी अन्य कॉलेज का रुख करना चाहिए।
कोर्स को तवज्जो देने की वकालत करने वाले एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि विद्यार्थियों को अपनी दिलचस्पी के मुताबिक कोर्स चुनना चाहिए। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्हें डीयू की ही डिग्री मिलेगी। हालांकि कॉलेज की ब्रांड वेल्यू मायने रखती है लेकिन सही कोर्स चुनना उससे कहीं ज्यादा जरूरी है। कॉलेज सही हो, और आपका कोर्स गलत हो तो ये आपके करियर के लिए नुकसानदेह रहेगा। और अगर कोर्स सही हो और कॉलेज गलत, तो आपके पास मेहनत करके माइग्रेशन का ऑप्शन रहता है। इसके अलावा आपके पास मेहनत करके अच्छे कॉलेज से संबंधित कोर्स में पोस्ट ग्रेजुएशन करने का विकल्प भी खुला है।
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कई बार छात्र सामाजिक प्रतिष्ठा और पारिवार के दबाव में आकर कोर्स से समझौता करते हैं और नामी कॉलेज चुन लेते हैं। लेकिन उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए। उन्हें दूरदर्शिता दिखाते हुए अपने लक्ष्य को ध्यान में रखना चाहिए।
वहीं, कॉलेज को अहमियत देने की बात कहने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि ये कॉलेज प्लेसमेंट का जमाना है जो कि अच्छे कॉलेज से ही मुमकिन है। कॉलेज प्रतिष्ठित होगा तो प्लेसमेंट की संभावना ज्यादा रहती है। इसके अलावा बहुत से छात्र 12वीं पास होने के बाद भी अपने करियर लक्ष्य को लेकर फोकस नहीं रहते। ऐसी स्थिति में उन्हें अच्छे कॉलेज की जरूरत होती है, जहां उनकी छुपी हुई स्किल्स को उभारा जाता है। इसके बाद वह पोस्ट ग्रेजुएशन में अपनी पसंद के मुताबिक कोर्स चुन सकते हैं।
इसके अलावा अगर छात्र इंजीनियरिंग या फैशन डिजाइनिंग जैसे कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं तो उन्हें कोर्स को प्राथमिकता देनी चाहिए न कि कॉलेज को। और अगर इंग्लिश, बीकॉम या इकॉनोमिक्स जैसा कोर्स करना है तो अच्छे कॉलेज का रुख करना चाहिए।
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कोर्स को तवज्जो देने की वकालत करने वाले एक्सपर्ट्स का यह भी मानना है कि विद्यार्थियों को अपनी दिलचस्पी के मुताबिक कोर्स चुनना चाहिए। ग्रेजुएशन करने के बाद उन्हें डीयू की ही डिग्री मिलेगी। हालांकि कॉलेज की ब्रांड वेल्यू मायने रखती है लेकिन सही कोर्स चुनना उससे कहीं ज्यादा जरूरी है। कॉलेज सही हो, और आपका कोर्स गलत हो तो ये आपके करियर के लिए नुकसानदेह रहेगा। और अगर कोर्स सही हो और कॉलेज गलत, तो आपके पास मेहनत करके माइग्रेशन का ऑप्शन रहता है। इसके अलावा आपके पास मेहनत करके अच्छे कॉलेज से संबंधित कोर्स में पोस्ट ग्रेजुएशन करने का विकल्प भी खुला है।
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कई बार छात्र सामाजिक प्रतिष्ठा और पारिवार के दबाव में आकर कोर्स से समझौता करते हैं और नामी कॉलेज चुन लेते हैं। लेकिन उन्हें ऐसा करने से बचना चाहिए। उन्हें दूरदर्शिता दिखाते हुए अपने लक्ष्य को ध्यान में रखना चाहिए।
वहीं, कॉलेज को अहमियत देने की बात कहने वाले विशेषज्ञ मानते हैं कि ये कॉलेज प्लेसमेंट का जमाना है जो कि अच्छे कॉलेज से ही मुमकिन है। कॉलेज प्रतिष्ठित होगा तो प्लेसमेंट की संभावना ज्यादा रहती है। इसके अलावा बहुत से छात्र 12वीं पास होने के बाद भी अपने करियर लक्ष्य को लेकर फोकस नहीं रहते। ऐसी स्थिति में उन्हें अच्छे कॉलेज की जरूरत होती है, जहां उनकी छुपी हुई स्किल्स को उभारा जाता है। इसके बाद वह पोस्ट ग्रेजुएशन में अपनी पसंद के मुताबिक कोर्स चुन सकते हैं।
इसके अलावा अगर छात्र इंजीनियरिंग या फैशन डिजाइनिंग जैसे कोर्स में एडमिशन लेना चाहते हैं तो उन्हें कोर्स को प्राथमिकता देनी चाहिए न कि कॉलेज को। और अगर इंग्लिश, बीकॉम या इकॉनोमिक्स जैसा कोर्स करना है तो अच्छे कॉलेज का रुख करना चाहिए।
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