जल्द ही डॉक्टर बनना और टेढ़ी खीर हो जाएगा. सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस पास करने वालों को डॉक्टरी करने का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए जल्द ही ‘नेशनल एग्जिट टेक्स्ट’ ( National Exit Test - NEXT ) से गुजरना होगा.
मेडिकल शिक्षा का स्तर बनेगा बेहतर
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह प्रावधान मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए एक मसौदा विधेयक का हिस्सा है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा दिए गए सुधार के सुझाव के आधार पर ऐसा किया गया है. इन सुझावों का मकसद मेडिकल कॉलेजों और डॉक्टरों में एजुकेशन की क्वालिटी को लेकर चिंता दूर करना है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक’, 2016 जारी किया है और छह जनवरी तक लोगों से प्रतिक्रिया मांगी गई है.
पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश के लिए साझा काउंसलिंग कराने का प्रस्ताव
विधेयक के जरिए सभी मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश के लिए साझा काउंसलिंग कराने का प्रस्ताव भी किया गया है. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कई संस्थान-मानद् विश्वविद्यालय और निजी कॉलेज अपनी खुद की काउंसलिंग करना चाहते हैं जो कैपिटेशन फीस को बढ़ावा दे सकता है क्योंकि सीटों की तुलना में एनईईटी पास करने वाले छात्रों की संख्या तिगुना है.
उन्होंने बताया कि साझा काउंसलिंग शुरू करने के जरिए हमारी कोशिश व्यवस्था को कारगर करना है ताकि सीटें योग्य उम्मीदवारों को मेधा सह उनकी पसंद के आधार पर आवंटित हो सके. इसके अलावा विधेयक में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि राज्य सरकारें सरकारी कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज की 50 फीसदी तक सीटें उन डॉक्टरों के लिए आरक्षित करे, जिन्होंने दूर दराज के इलाकों में कम से कम तीन साल सेवा दी हो.
दूर दराज के और दुर्गम इलाकों में तीन साल की सेवा
पीजी डिग्री हासिल करने के बाद राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्र मेडिकल अधिकारियों से दूर दराज के और दुर्गम इलाकों में तीन साल की सेवा ले सकते हैं. अधिकारी ने बताया कि इस विचार का उद्देश्य एमबीबीएस पास करने वाले अधिक से अधिक लोगों को दूर दराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर डॉक्टरी करने के लिए प्रोत्साहित करना है.
मेडिकल शिक्षा का स्तर बनेगा बेहतर
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह प्रावधान मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए एक मसौदा विधेयक का हिस्सा है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के नेतृत्व वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा दिए गए सुधार के सुझाव के आधार पर ऐसा किया गया है. इन सुझावों का मकसद मेडिकल कॉलेजों और डॉक्टरों में एजुकेशन की क्वालिटी को लेकर चिंता दूर करना है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर भारतीय चिकित्सा परिषद (संशोधन) विधेयक’, 2016 जारी किया है और छह जनवरी तक लोगों से प्रतिक्रिया मांगी गई है.
पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश के लिए साझा काउंसलिंग कराने का प्रस्ताव
विधेयक के जरिए सभी मेडिकल कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज में प्रवेश के लिए साझा काउंसलिंग कराने का प्रस्ताव भी किया गया है. एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कई संस्थान-मानद् विश्वविद्यालय और निजी कॉलेज अपनी खुद की काउंसलिंग करना चाहते हैं जो कैपिटेशन फीस को बढ़ावा दे सकता है क्योंकि सीटों की तुलना में एनईईटी पास करने वाले छात्रों की संख्या तिगुना है.
उन्होंने बताया कि साझा काउंसलिंग शुरू करने के जरिए हमारी कोशिश व्यवस्था को कारगर करना है ताकि सीटें योग्य उम्मीदवारों को मेधा सह उनकी पसंद के आधार पर आवंटित हो सके. इसके अलावा विधेयक में यह प्रस्ताव भी किया गया है कि राज्य सरकारें सरकारी कॉलेजों में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्सेज की 50 फीसदी तक सीटें उन डॉक्टरों के लिए आरक्षित करे, जिन्होंने दूर दराज के इलाकों में कम से कम तीन साल सेवा दी हो.
दूर दराज के और दुर्गम इलाकों में तीन साल की सेवा
पीजी डिग्री हासिल करने के बाद राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्र मेडिकल अधिकारियों से दूर दराज के और दुर्गम इलाकों में तीन साल की सेवा ले सकते हैं. अधिकारी ने बताया कि इस विचार का उद्देश्य एमबीबीएस पास करने वाले अधिक से अधिक लोगों को दूर दराज के इलाकों और ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर डॉक्टरी करने के लिए प्रोत्साहित करना है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं