छत्तीसगढ़ के छात्रों को मौसम विभाग में पवीएचडी करने अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा, क्योंकि छत्तीसगढ़ के कृषि विश्वविद्यालय में अब इस विषय पर पीएचडी की शुरुआत हो गई है. शुरुआत में विश्वविद्यालय ने सिर्फ दो सीटें ही बनाई हैं, लेकिन जैसे-जैसे इस विषय की उत्सुकता छात्रों में बढ़ेगी, सीटों की संख्या बढ़ा दी जाएगी. प्रदेश के राज्यपाल बलरामदास टंडन ने इस पहल के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन को बधाई दी है.
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी कृष्ण कुमार साहू ने बताया कि इस विषय पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विद्या परिषद की बैठक की अनुशंसा के आधार पर 30 मई को शुरू करने का निर्णय लिया गया.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले विश्वविद्यालय के छात्रों को मौसम विज्ञान में पीएचडी करने के लिए अन्य प्रांतों में जाना पड़ता था.
कृष्ण कुमार साहू ने बताया किए वर्तमान में ग्लोबल वार्मिग के कारण प्रदेश में बदलते जलवायु को देखते हुए कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने मौसम विज्ञान में पीएचडी को काफी गंभीरता से लिया और यह प्रस्ताव विद्या परिषद को भेजा. परिषद ने इसे अनुमोदित कर विषय शुरू करने की घोषणा की.
साहू ने कहा कि वर्तमान में बदलते जलवायु को देखते हुए किसानों को मौसम की जानकारी देना बहुत ही आवश्यक है. अब का युग परंपरागत कृषि से उठकर वैज्ञानिक कृषि करने का है. मौसम की जानकारी कृषि का महत्वपूर्ण अंग है. देश के प्रत्येक किसान को कृषि के लिए हवा, पानी और तापमान की जानकारी रखना अति आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक कृषि करने के लिए मानव संसाधनों की प्रचुर आवश्यकता होती है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी कृष्ण कुमार साहू ने बताया कि इस विषय पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के विद्या परिषद की बैठक की अनुशंसा के आधार पर 30 मई को शुरू करने का निर्णय लिया गया.
उल्लेखनीय है कि इससे पहले विश्वविद्यालय के छात्रों को मौसम विज्ञान में पीएचडी करने के लिए अन्य प्रांतों में जाना पड़ता था.
कृष्ण कुमार साहू ने बताया किए वर्तमान में ग्लोबल वार्मिग के कारण प्रदेश में बदलते जलवायु को देखते हुए कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने मौसम विज्ञान में पीएचडी को काफी गंभीरता से लिया और यह प्रस्ताव विद्या परिषद को भेजा. परिषद ने इसे अनुमोदित कर विषय शुरू करने की घोषणा की.
साहू ने कहा कि वर्तमान में बदलते जलवायु को देखते हुए किसानों को मौसम की जानकारी देना बहुत ही आवश्यक है. अब का युग परंपरागत कृषि से उठकर वैज्ञानिक कृषि करने का है. मौसम की जानकारी कृषि का महत्वपूर्ण अंग है. देश के प्रत्येक किसान को कृषि के लिए हवा, पानी और तापमान की जानकारी रखना अति आवश्यक है.
उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक कृषि करने के लिए मानव संसाधनों की प्रचुर आवश्यकता होती है.
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