CBSE Class 12th Result 2017: नतीजों में हो सकती है थोड़ी और देरी
नयी दिल्ली:
CBSE Class 12th Result 2017 के ऐलान को लेकर ताजा अपडेट यह है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) मॉडरेशन पॉलिसी पर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक बोर्ड शीर्ष अदालत में एसएलपी (स्पेशल लिव पिटिशन) दायर करेगा. अगर ऐसा होता है तो 12वीं के छात्रों को नतीजों के लिए थोड़ा और इंतजार करना पड़ सकता है. जबकि पहले बताया जा रहा था कि रिजल्ट इस हफ्ते के आखिर में आ सकते हैं. बुधवार को सीबीएसई और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बीच इस मुद्दे को लेकर बैठक भी हुई.
सूत्रों के मुताबिक बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी लीगल टीम को एसएलपी के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए कहा है. बोर्ड हाईकोर्ट का आदेश पढ़ने के बाद दो दिन के भीतर यह याचिका दायर कर सकता है.
मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीएसई को मुश्किल प्रश्नों के लिए ग्रेस मार्क्स देने संबंधी अपनी मॉडरेशन पॉलिसी सत्र 2016-17 के लिए जारी रखने का अंतरिम आदेश दिया है. इस पॉलिसी को खत्म करने के लिए हाल ही में सीबीएसई ने नोटिफिकेशन जारी किया था जिसे कुछ अभिभावकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
गौरतलब है कि सीबीएसई ने एक अहम फैसले में मॉडरेशन नीति को खत्म करने की घोषणा की थी. इसके तहत छात्रों को मुश्किल सवालों के लिए ग्रेस अंक दिए जाते रहे हैं. मॉडरेशन नीति के अनुसार परीक्षार्थियों को खास प्रश्नपत्र में सवालों के कठिन प्रतीत होने पर 15 प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाते थे. बताया जा रहा था कि कॉलेज एडमिशन में बढ़ते कॉम्पिटीशन और 95 फीसदी से अधिक नंबर स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसा फैसला लिया गया था.
अब हाई कोर्ट के निर्देश के बाद छात्रों के मार्क्स को एडजस्ट करने में समय लगेगा, जिस कारण रिजल्ट लेट हो जाएगा. हालांकि सीबीएसई ने 12वीं क्लास के रिजल्ट जारी करने की तारीख और समय को लेकर अभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है.
ये भी पढ़ें: 2017-18 से 10वीं बोर्ड परीक्षा का कनवर्टेड फॉर्मेट तैयार, पास होने के लिए चाहिए होंगे 33 फीसद नम्बर
केरल, आंधप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि कुछ राज्यों ने नई नीति को अगले शैक्षणिक सत्र 2017-18 सत्र से लागू करने का फैसला लिया है. जबकि सीबीएसई ने इसी साल से यह पॉलिसी लागू कर दी.
ग्रेस मार्क्स पर फैसले में क्या कहा हाईकोर्ट ने
इस फैसले से इस साल परीक्षा देने वाले 12वीं कक्षा के करीब 11 लाख छात्रों व 10वीं कक्षा के 9 लाख छात्रों को लाभ मिलेगा. एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच ने कहा कि जब इस साल 12वीं कक्षा के लिए छात्र परीक्षा दे चुके हैं तो ऐसे में यह पॉलिसी बदली नहीं जा सकती. सीबीएसई इस पॉलिसी को फिलहाल उन छात्रों के लिए जारी रखे जो इस वर्ष एग्जामिनेशन फार्म जमा कर चुके हैं. जब परीक्षा फार्भ भरे जाते हैं तो सभी को पता होता है कि इसके नियम क्या हैं. जब खेल शुरू हो चुका हो तो नियम बदले नहीं जा सकते. बेंच ने कहा कि छात्रों को असुरक्षा की भावना पैदा न कीजिए.
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अदालत अभिभावकों व कुछ वकीलों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई ने ग्रेस मार्क्स देने संबंधी अपनी मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला लिया है. यह गलत है और इससे 12वीं कक्षा के उन छात्रों पर खास तौर पर असर पड़ेगा जिन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय या विदेशों में दाखिले के लिए आवेदन किया है. याची का तर्क था कि केरल, आंधप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि कुछ राज्यों ने नई नीति को अगले शैक्षणिक सत्र 2017-18 सत्र से लागू करने का फैसला लिया है. ऐसे में इस पर रोक लगाई जाए. याची के अनुसार सीबीएसई ने इस वर्ष 12 वीं की परीक्षा के बाद नई नीति बनाई है. जिसमें ग्रेस मार्क्स न देने की बात कही गई है. इस नीति से 12 वीं कक्षा के छात्रों के अंक कम हो जाएंगे. उन्हें कॉलेज में दाखिला लेने में दिक्कत होगी.
22 मई को अदालत ने मॉडरेशन पालिसी खत्म करने पर सीबीएसई के प्रति नाराजगी जताई थी. पॉलिसी खत्म करने को लापरवाहपूर्ण व अन्यायपूर्ण फैसला कहा था. अदालत ने कहा था कि सीबीएसई क्यों नहीं अपनी नई नीति का अगले शैक्षणिक सत्र 2017-18 में लागू करती. अब कुछ दिनों में ही 12 कक्षा के नतीजे आने वाले हैं.
9 मार्च 2017 से 29 अप्रैल 2017 के बीच आयोजित की गई थी परीक्षा
इस साल 10वीं क्लास की परीक्षाएं 9 मार्च 2017 से शुरू होकर 10 अप्रैल तक चली थीं, वहीं 12वीं की परीक्षाएं 9 मार्च 2017 से 29 अप्रैल 2017 के बीच आयोजित की गई थीं. इस साल सीबीएसई की दसवीं क्लास की बोर्ड परीक्षा में 8,86,506 छात्रों ने हिस्सा लिया था, जो पिछले साल की तुलना में 15.73 प्रतिशत अधिक थी. वहीं, 12वीं कक्षा की परीक्षा में 10,98,981 छात्रों ने हिस्सा लिया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.82 फीसदी ज्यादा थी. देश भर में 16,363 केंद्रों पर कक्षा दस और 10,678 केंद्रों पर 12वीं कक्षा की परीक्षाओं का आयोजन किया गया था.
सूत्रों के मुताबिक बोर्ड के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी लीगल टीम को एसएलपी के साथ सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए कहा है. बोर्ड हाईकोर्ट का आदेश पढ़ने के बाद दो दिन के भीतर यह याचिका दायर कर सकता है.
मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने सीबीएसई को मुश्किल प्रश्नों के लिए ग्रेस मार्क्स देने संबंधी अपनी मॉडरेशन पॉलिसी सत्र 2016-17 के लिए जारी रखने का अंतरिम आदेश दिया है. इस पॉलिसी को खत्म करने के लिए हाल ही में सीबीएसई ने नोटिफिकेशन जारी किया था जिसे कुछ अभिभावकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
गौरतलब है कि सीबीएसई ने एक अहम फैसले में मॉडरेशन नीति को खत्म करने की घोषणा की थी. इसके तहत छात्रों को मुश्किल सवालों के लिए ग्रेस अंक दिए जाते रहे हैं. मॉडरेशन नीति के अनुसार परीक्षार्थियों को खास प्रश्नपत्र में सवालों के कठिन प्रतीत होने पर 15 प्रतिशत अतिरिक्त अंक दिए जाते थे. बताया जा रहा था कि कॉलेज एडमिशन में बढ़ते कॉम्पिटीशन और 95 फीसदी से अधिक नंबर स्कोर करने वाले स्टूडेंट्स की बढ़ती संख्या को देखते हुए ऐसा फैसला लिया गया था.
अब हाई कोर्ट के निर्देश के बाद छात्रों के मार्क्स को एडजस्ट करने में समय लगेगा, जिस कारण रिजल्ट लेट हो जाएगा. हालांकि सीबीएसई ने 12वीं क्लास के रिजल्ट जारी करने की तारीख और समय को लेकर अभी कोई अधिसूचना जारी नहीं की है.
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केरल, आंधप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि कुछ राज्यों ने नई नीति को अगले शैक्षणिक सत्र 2017-18 सत्र से लागू करने का फैसला लिया है. जबकि सीबीएसई ने इसी साल से यह पॉलिसी लागू कर दी.
ग्रेस मार्क्स पर फैसले में क्या कहा हाईकोर्ट ने
इस फैसले से इस साल परीक्षा देने वाले 12वीं कक्षा के करीब 11 लाख छात्रों व 10वीं कक्षा के 9 लाख छात्रों को लाभ मिलेगा. एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व जस्टिस प्रतिभा एम सिंह की बेंच ने कहा कि जब इस साल 12वीं कक्षा के लिए छात्र परीक्षा दे चुके हैं तो ऐसे में यह पॉलिसी बदली नहीं जा सकती. सीबीएसई इस पॉलिसी को फिलहाल उन छात्रों के लिए जारी रखे जो इस वर्ष एग्जामिनेशन फार्म जमा कर चुके हैं. जब परीक्षा फार्भ भरे जाते हैं तो सभी को पता होता है कि इसके नियम क्या हैं. जब खेल शुरू हो चुका हो तो नियम बदले नहीं जा सकते. बेंच ने कहा कि छात्रों को असुरक्षा की भावना पैदा न कीजिए.
ये भी पढ़ें: अब साल में एक ही बार CTET परीक्षा आयोजित करेगी CBSE
अदालत अभिभावकों व कुछ वकीलों द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. याचिका में कहा गया है कि सीबीएसई ने ग्रेस मार्क्स देने संबंधी अपनी मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने का फैसला लिया है. यह गलत है और इससे 12वीं कक्षा के उन छात्रों पर खास तौर पर असर पड़ेगा जिन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय या विदेशों में दाखिले के लिए आवेदन किया है. याची का तर्क था कि केरल, आंधप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि कुछ राज्यों ने नई नीति को अगले शैक्षणिक सत्र 2017-18 सत्र से लागू करने का फैसला लिया है. ऐसे में इस पर रोक लगाई जाए. याची के अनुसार सीबीएसई ने इस वर्ष 12 वीं की परीक्षा के बाद नई नीति बनाई है. जिसमें ग्रेस मार्क्स न देने की बात कही गई है. इस नीति से 12 वीं कक्षा के छात्रों के अंक कम हो जाएंगे. उन्हें कॉलेज में दाखिला लेने में दिक्कत होगी.
22 मई को अदालत ने मॉडरेशन पालिसी खत्म करने पर सीबीएसई के प्रति नाराजगी जताई थी. पॉलिसी खत्म करने को लापरवाहपूर्ण व अन्यायपूर्ण फैसला कहा था. अदालत ने कहा था कि सीबीएसई क्यों नहीं अपनी नई नीति का अगले शैक्षणिक सत्र 2017-18 में लागू करती. अब कुछ दिनों में ही 12 कक्षा के नतीजे आने वाले हैं.
9 मार्च 2017 से 29 अप्रैल 2017 के बीच आयोजित की गई थी परीक्षा
इस साल 10वीं क्लास की परीक्षाएं 9 मार्च 2017 से शुरू होकर 10 अप्रैल तक चली थीं, वहीं 12वीं की परीक्षाएं 9 मार्च 2017 से 29 अप्रैल 2017 के बीच आयोजित की गई थीं. इस साल सीबीएसई की दसवीं क्लास की बोर्ड परीक्षा में 8,86,506 छात्रों ने हिस्सा लिया था, जो पिछले साल की तुलना में 15.73 प्रतिशत अधिक थी. वहीं, 12वीं कक्षा की परीक्षा में 10,98,981 छात्रों ने हिस्सा लिया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.82 फीसदी ज्यादा थी. देश भर में 16,363 केंद्रों पर कक्षा दस और 10,678 केंद्रों पर 12वीं कक्षा की परीक्षाओं का आयोजन किया गया था.
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