नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने नाम बदलने के अपने नियमों को कड़ा कर दिया है। अब इस तरह के किसी भी अनुरोध के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की मंजूरी जरूरी कर दी है।
छात्रसंघ चुनावों में होता था दुरुपयोग
विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनावों के दौरान नाम बदलने का अकसर दुरुपयोग होता है। एक आधिकारिक सूचना में कहा गया है कि यह स्पष्ट किया जाता है कि नाम बदलने के इच्छुक छात्र-छात्राओं के लिए यह अनिवार्य किया जाता है कि वे पहले सीबीएसई या राज्य बोर्ड से नाम बदलवाएं।
पहले, नाम बदलने के इच्छुक छात्र-छात्राओं को इस बाबत कम से कम दो प्रमुख दैनिकों में प्रकाशित विज्ञापन की ऑरिजनल कॉपी, नियत प्रारूप में आवेदक की सेल्फ डिकलेयरेशन और नाम बदलने के बारे में भारत के गेजेटेड नोटिफिकेशन की एक कॉपी देनी होती थी।
छात्र क्यों बदलवाते हैं नाम?
डीयू को दिल्ली हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नाम बदलने के अपने नियम में संशोधन करने पड़े। अदालत ने पिछले साल नवंबर में माना था कि दिल्ली विश्वविद्यालय चुनाव से पहले प्रत्याशियों द्वारा अपने नाम से पहले अंग्रेजी का अक्षर ‘ए’ लगाने का चलन है ताकि वे मतपत्र की सूची में शीर्ष पर आ सकें जो त्रुटिपूर्ण है।
डीयू में पहले बदले हुए नाम से चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगी हुई थी लेकिन पिछले साल विश्वविद्यालय ने यह विवादित प्रावधान हटा दिया था।