‘भारतीय उच्च शिक्षा आयोग' गठित करने के प्रस्ताव वाला विधेयक अगले महीने विचार के लिये कैबिनेट के समक्ष रखा जायेगा जिसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद को आयोग के दायरे में लाने का प्रावधान किया गया है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने इस आशय की जानकारी दी. मंत्रालय ने पिछले वर्ष विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम को निरस्त करके विश्विवद्यालय अनुदान आयोग को विस्थापित करने एवं भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) की स्थापना करने की घोषणा की थी. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने इसे टिप्पणियों और सुझावों के लिये सार्वजनिक किया है और विभिन्न पक्षकारों से राय मांगी गई है.
भारतीय उच्च शिक्षा आयोग का उद्देश्य उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षा के स्तर को सुधारना है. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘‘भारतीय उच्च शिक्षा आयोग एकल नियामक के रूप में काम करेगा और यूजीसी को निरस्त करने एवं एआईसीटीई को अपने दायरे में लायेगा. यह विधेयक राज्यों के साथ व्यापक विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया है. इसे अक्तूब में कैबिनेट के समक्ष लाया जायेगा.'' मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि ‘‘भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक यूजीसी और एआईसीटीई की जगह, एकल नियामक के रुप में भारतीय उच्च शिक्षा आयोग विधेयक को राज्यों के साथ परामर्श के बाद मंत्रिमडंल की सहमति के लिए तैयार किया गया.''
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने जुलाई में संसद में बताया था कि एचईसीआई अकादमिक मानदंड को बनाये रखने, गुणवत्ता को बेहतर बनाने, अच्छा प्रदर्शन करने वाली संस्थाओं तथा ज्ञान एवं नवोन्मेष को बढ़ावा देने में मदद करेगा. गौरतलब है कि यूजीसी देशभर में विश्वविद्यालयों के नियमन का कार्य करता है जबकि एआईसीटीई इंजीनियरिंग, फार्मेसी, प्रबंधन एवं अन्य तकनीकी शिक्षा प्रदान करने वाले कालेजों के नियमन का कार्य करता है.
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