पटना:
बिहार में परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर होने वाली धांधली को रोकने के लिए हाईटेक गैजेट और ज्यादा से ज्यादा सुरक्षाकर्मी की तैनाती करने का फैसला लिया गया है।
सालों से बिहार में परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर नकल करवाने का प्रचलन रहा है। इसमें परीक्षार्थियों के अभिभावकों से लेकर उसके सगे-संबंधी तक शामिल होते हैं। हर साल मार्च में मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में नकल की खबरें और तस्वीरें छा जाती हैं।
लेकिन इस साल शिक्षा विभाग ने दसवीं और बारहवीं की क्रमश: फरवरी और मार्च में होने वाली परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं।
शिक्षा विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगवाएं और उनका सीधा प्रसारण इंटरनेट पर कराने की व्यवस्था करें। इसके अलावा अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती भी की जाए।
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बताया, "हम परीक्षाओं में नकल को और बर्दाश्त नहीं करेंगे। महागठबंधन की सरकार नकलरहित परीक्षा कराने के लिए प्रतिबद्ध है।" चौधरी ने कहा कि अगर कोई नकल की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार फरवरी के अंतिम हफ्ते में होने वाली बारहवीं की परीक्षा में 14 लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे और मार्च में दसवीं की परीक्षा में 15 लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे।
बिहार स्कूल परीक्षा समिति के चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि परीक्षा केंद्र के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगे होंगे और परीक्षा केंद्रों के अंदर की वीडियोग्राफी कराई जाएगी और परीक्षा केंद्रों पर हजारों सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाएगी।
उन्होंने बताया कि सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि परीक्षा केंद्रों के आसपास परीक्षा शुरू होने से एक घंटा पहले धारा 144 लागू करें और अवैध रूप से लोगों को न इकट्ठा होने दें। खासतौर से परीक्षार्थी के अभिभावकों, रिश्तेदारों और मित्रों को परीक्षा केंद्र से दूर रखा जाए।
राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की जिसमें यह निर्णय लिया गया कि अगर किसी केंद्र पर नकल की सूचना मिलती है तो वहां परीक्षा रद्द कर संबंधित अधिकारियों व शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
अरवल जिले के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक गजेंद्र शर्मा का कहना है कि परीक्षा में नकल रोकने के लिए यह जरूरी कदम है। पिछले साल की स्कूल की दीवार पर चढ़कर नकल कराती तस्वीरें राष्ट्रीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में छा गई थी जो राज्य के लिए बेहद शर्मनाक था।
नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के छात्र नेता मनीष साहू ने बताया, "राज्य सरकार की नकल रोकने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया जाना चाहिए। इसके लिए परीक्षार्थियों, उनके अभिभावकों और परिवार वालों को आगे आने की जरूरत है। उन्हें सरकारी एजेंसियों की मदद करनी चाहिए।"
वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मनीष कुमार सिंह का कहना है कि यह बहुत बड़ा काम है जिसे कर पाना संभव नहीं है।
पिछले साल पटना उच्च न्यायालय ने भी नकल का संज्ञान लेते हुए राज्य पुलिस महानिदेशक को नकल रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मी की तैनाती करने का निर्देश दिया था।
सेवानिवृत्त शिक्षक आमिर हसन याद करते हुए बताते हैं कि 1996 में भी पटना उच्च न्यायालय ने नकल को लेकर कड़ा रुख अपनाया था। उस साल महज 12 फीसदी छात्र ही दसवीं की परीक्षा में सफल हो पाए थे। उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षा का स्तर इतना खराब है कि जब भी सरकार नकल रोकती है तो उस साल पास होने वाले छात्रों की संख्या अविश्वसनीय रूप से घट जाती है।
सालों से बिहार में परीक्षाओं में बड़े पैमाने पर नकल करवाने का प्रचलन रहा है। इसमें परीक्षार्थियों के अभिभावकों से लेकर उसके सगे-संबंधी तक शामिल होते हैं। हर साल मार्च में मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक में नकल की खबरें और तस्वीरें छा जाती हैं।
लेकिन इस साल शिक्षा विभाग ने दसवीं और बारहवीं की क्रमश: फरवरी और मार्च में होने वाली परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं।
शिक्षा विभाग ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगवाएं और उनका सीधा प्रसारण इंटरनेट पर कराने की व्यवस्था करें। इसके अलावा अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती भी की जाए।
शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने बताया, "हम परीक्षाओं में नकल को और बर्दाश्त नहीं करेंगे। महागठबंधन की सरकार नकलरहित परीक्षा कराने के लिए प्रतिबद्ध है।" चौधरी ने कहा कि अगर कोई नकल की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ कड़े कदम उठाए जाएंगे।
शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार फरवरी के अंतिम हफ्ते में होने वाली बारहवीं की परीक्षा में 14 लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे और मार्च में दसवीं की परीक्षा में 15 लाख परीक्षार्थी शामिल होंगे।
बिहार स्कूल परीक्षा समिति के चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद सिंह ने बताया कि परीक्षा केंद्र के बाहर सीसीटीवी कैमरा लगे होंगे और परीक्षा केंद्रों के अंदर की वीडियोग्राफी कराई जाएगी और परीक्षा केंद्रों पर हजारों सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जाएगी।
उन्होंने बताया कि सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों से कहा गया है कि परीक्षा केंद्रों के आसपास परीक्षा शुरू होने से एक घंटा पहले धारा 144 लागू करें और अवैध रूप से लोगों को न इकट्ठा होने दें। खासतौर से परीक्षार्थी के अभिभावकों, रिश्तेदारों और मित्रों को परीक्षा केंद्र से दूर रखा जाए।
राज्य के मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की जिसमें यह निर्णय लिया गया कि अगर किसी केंद्र पर नकल की सूचना मिलती है तो वहां परीक्षा रद्द कर संबंधित अधिकारियों व शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
अरवल जिले के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक गजेंद्र शर्मा का कहना है कि परीक्षा में नकल रोकने के लिए यह जरूरी कदम है। पिछले साल की स्कूल की दीवार पर चढ़कर नकल कराती तस्वीरें राष्ट्रीय से लेकर अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में छा गई थी जो राज्य के लिए बेहद शर्मनाक था।
नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया के छात्र नेता मनीष साहू ने बताया, "राज्य सरकार की नकल रोकने की प्रतिबद्धता का स्वागत किया जाना चाहिए। इसके लिए परीक्षार्थियों, उनके अभिभावकों और परिवार वालों को आगे आने की जरूरत है। उन्हें सरकारी एजेंसियों की मदद करनी चाहिए।"
वहीं, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के मनीष कुमार सिंह का कहना है कि यह बहुत बड़ा काम है जिसे कर पाना संभव नहीं है।
पिछले साल पटना उच्च न्यायालय ने भी नकल का संज्ञान लेते हुए राज्य पुलिस महानिदेशक को नकल रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षाकर्मी की तैनाती करने का निर्देश दिया था।
सेवानिवृत्त शिक्षक आमिर हसन याद करते हुए बताते हैं कि 1996 में भी पटना उच्च न्यायालय ने नकल को लेकर कड़ा रुख अपनाया था। उस साल महज 12 फीसदी छात्र ही दसवीं की परीक्षा में सफल हो पाए थे। उन्होंने कहा कि बिहार में शिक्षा का स्तर इतना खराब है कि जब भी सरकार नकल रोकती है तो उस साल पास होने वाले छात्रों की संख्या अविश्वसनीय रूप से घट जाती है।
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