98 साल की उम्र में किया एमए पास
कहते हैं कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती है, जब मन करे कोई भी पढ़ाई फिर से शुरू कर सकता है. बिहार में पटना के रहने वाले वर्षीय राजकुमार वैश्य ने इस बात को सच करके दिखा दिया है. आमतौर पर आपने एमए की डिग्री का 25 या 26 साल की उम्र में मिलना सुना होगा, लेकिन राजकुमार को 98 वर्ष की उम्र में यह उपाधि मिली है. वैश्य ने नालंदा मुक्त विश्वविद्यालय से एमए (अर्थशास्त्र) की डिग्री हासिल की है. विश्वविद्यालय के 12वें दीक्षांत समारोह के मौके पर राज कुमार वैश्य को एमए की डिग्री दी गई.
2015 में लिया एडमिशन
पटना में आयोजित एनओयू के दीक्षांत समारोह में मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने वैश्य को अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री से नवाजा. बता दें कि वैश्य ने एमए (अर्थशास्त्र) में 2015 में एडमिशन लिया था और उन्होंने अपनी यह परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास की है. हालांकि वैश्य ने 1938 में अपनी ग्रैजुएशन की डिग्री ले ली थी.
मास्टर डिग्री के लिए कड़ी मेहनत
अपनी डिग्री हासिल करने के बाद वैश्य ने कहा, मैं आज अपनी डिग्री पाकर बहुत खुश हूं क्योंकि मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी. उन्होंने बताया कि काफी लंबे समय से मैं अपनी मास्टर डिग्री पूरी करना चाह रहा था, फिर मैंने मास्टर्स के लिए 2015 में एडमिशन लिया. 98 साल के वैश्य ने इस मौके पर युवाओं के लिए भी सीख दी कि उन्हें सिर्फ करियर नहीं बल्कि अपनी शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए.
एनओयू के रजिस्ट्रार एस पी सिन्हा ने बताया कि कुल 22,100 छात्रों को इस साल अलग-अलग विषओं की डिग्रियां प्रदान की गईं. वैश्य 29 स्वर्ण पदक विजेताओं सहित 2780 ऐसे छात्रों में शामिल थे जिन्हें दीक्षांत समारोह में बुलाया गया था.
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 1 अप्रैल को जन्मे वैश्य ने आगरा विश्वविद्यालय से 1938 में स्नातक की परीक्षा पास की थी और 1940 में कानून की डिग्री हासिल की थी. लेकिन पारिवारिक जिम्मदारी के चलते वे एमए में एडमिशन नहीं ले पाए. वे अपनी पत्नी के साथ पहले बरेली में रहते थे, लेकिन बाद में पटना चले गए.
2015 में लिया एडमिशन
पटना में आयोजित एनओयू के दीक्षांत समारोह में मेघालय के राज्यपाल गंगा प्रसाद ने वैश्य को अर्थशास्त्र में एमए की डिग्री से नवाजा. बता दें कि वैश्य ने एमए (अर्थशास्त्र) में 2015 में एडमिशन लिया था और उन्होंने अपनी यह परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास की है. हालांकि वैश्य ने 1938 में अपनी ग्रैजुएशन की डिग्री ले ली थी.
मास्टर डिग्री के लिए कड़ी मेहनत
अपनी डिग्री हासिल करने के बाद वैश्य ने कहा, मैं आज अपनी डिग्री पाकर बहुत खुश हूं क्योंकि मैंने इसके लिए कड़ी मेहनत की थी. उन्होंने बताया कि काफी लंबे समय से मैं अपनी मास्टर डिग्री पूरी करना चाह रहा था, फिर मैंने मास्टर्स के लिए 2015 में एडमिशन लिया. 98 साल के वैश्य ने इस मौके पर युवाओं के लिए भी सीख दी कि उन्हें सिर्फ करियर नहीं बल्कि अपनी शिक्षा पर भी ध्यान देना चाहिए.
एनओयू के रजिस्ट्रार एस पी सिन्हा ने बताया कि कुल 22,100 छात्रों को इस साल अलग-अलग विषओं की डिग्रियां प्रदान की गईं. वैश्य 29 स्वर्ण पदक विजेताओं सहित 2780 ऐसे छात्रों में शामिल थे जिन्हें दीक्षांत समारोह में बुलाया गया था.
उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में 1 अप्रैल को जन्मे वैश्य ने आगरा विश्वविद्यालय से 1938 में स्नातक की परीक्षा पास की थी और 1940 में कानून की डिग्री हासिल की थी. लेकिन पारिवारिक जिम्मदारी के चलते वे एमए में एडमिशन नहीं ले पाए. वे अपनी पत्नी के साथ पहले बरेली में रहते थे, लेकिन बाद में पटना चले गए.
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