सरकार ने मंगलवार को कहा कि अंडर-ग्रेजुएट (स्नातक) मेडिकल सीटों की संख्या वर्ष 2014 से पहले 51,348 थी जो अब बढ़कर अब 89,875 सीटें हो गई है और यह 75 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है. इस दौरान स्नातकोत्तर सीटों में भी 93 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि जो छात्र एमबीबीएस करने और विदेशी चिकित्सा योग्यता प्राप्त करने के लिए विदेश जाते हैं, उन्हें भारत में चिकित्सा व्यवसायी के रूप में पंजीकृत होने के लिए विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है.
मंत्री ने कहा कि सरकार ने देश में डॉक्टरों की संख्या को और बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं. मांडविया ने कहा, ‘‘यूजी (स्नातक पढ़ाई करने वाले छात्रों के) सीटों की संख्या वर्ष 2014 से पहले 51,348 थी जो अब बढ़कर 89,875 सीटें हो गई है. यह 75 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाती है. पीजी (स्नातकोत्तर पढ़ाई करने वाले) सीटों की संख्या वर्ष 2014 से पहले 31,185 थी जो बढ़कर अब 60,202 हो गई है.''
सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए उठाए गए कदमों में जिला/रेफरल अस्पतालों का उन्नयन करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए केंद्र प्रायोजित योजना शामिल है, जिसके तहत 157 नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत किए गए हैं और 71 पहले से ही कार्यरत हैं.
इसमें एमबीबीएस और पीजी सीटों को बढ़ाने के लिए मौजूदा राज्य सरकार या केंद्र सरकार के मेडिकल कॉलेजों के सुदृढ़ीकरण या उन्नयन के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के निर्माण द्वारा सरकारी मेडिकल कॉलेजों के उन्नयन करने की एक केंद्रीय योजना भी शामिल है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं