अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने 1994 के बाद ब्याज दरों में 0.75 फीसदी की सबसे बड़ी बढ़ोतरी का ऐलान किया है. यह 28 साल में अमेरिका के केंद्रीय बैंक द्वारा ब्याज दर में सबसे बड़ी वृद्धि है. फेडरल रिजर्व ने यह फैसला महंगाई पर काबू पाने के लिए उठाया है, क्योंकि अमेरिका में मुद्रास्फीति 40 साल में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है, जो मई के महीने में 8.6 फीसदी रही है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी से डॉलर को मजबूती मिलेगी और इससे रुपये के और ज्यादा लुढ़कने की संभावना बढ़ गई है. भारतीय मुद्रा पहले ही डॉलर के मुकाबले 78.13 के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है.
गौरतलब है कि विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया 18 पैसे की बड़ी गिरावट के साथ सर्वकालिक निचले स्तर 78.22 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. घरेलू शेयर बाजारों में निराशाजनक कारोबार तथा विदेशी पूंजी की सतत निकासी के कारण निवेशकों की कारोबारी धारणा प्रभावित होने से यह गिरावट आई. अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की बैठक के नतीजों से पहले कारोबारियों ने बाजार से दूरी बनाए रखी थी.
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में डॉलर के मुकाबले रुपया 77.99 के भाव पर खुला. कारोबार के अंत में रुपया अपने पिछले बंद भाव के मुकाबले 18 पैसे की गिरावट के साथ 78.22 प्रति डॉलर रह गया. मंगलवार को रुपया 78.04 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.रुपया, लगातार चौथे कारोबारी सत्र में रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ है.
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