घरेलू बचत को बढ़ावा देने के इरादे से सरकार ने बीमा तथा विभिन्न वित्तीय उत्पादों में निवेश पर कर छूट सीमा बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये सालाना करने का प्रस्ताव किया। फिलहाल आयकर कानून की धारा 80सी, 80सीसी तथा 80सीसीसी के तहत निवेश और व्यय मिलाकर आयकर में छूट की सीमा एक लाख रुपये सालाना है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2014-15 का केंद्रीय बजट पेश करते हुए अपने भाषण में इस छूट सीमा को बढ़ाकर 1.5 रुपये करने की घोषणा की। घरेलू बचत को बढ़ावा देने के लिए बैंकों तथा बीमा कंपनियों की तरफ से कर छूट सीमा को मौजूदा एक लाख रुपये से बढ़ाने की मांग की जाती रही है। बचत दर घटकर 2012-13 में 30 प्रतिशत रही, जो 2008 में 38 प्रतिशत से अधिक थी।
निवेश पर कर छूट सीमा बढ़ने से वेतनभोगियों को राहत मिलेगी, जो ऊंची मुद्रास्फीति से परेशान हैं। प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) में भी निवेश तथा विभिन्न खर्चों पर कुल मिलाकर छूट सीमा बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये सालाना करने की सिफारिश की गई है।
जिन वित्तीय उत्पादों में निवेश पर छूट प्राप्त होती है, उसमें जीवन बीमा प्रीमियम, सार्वजनिक भविष्य निधि, कर्मचारी भविष्य निधि, राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र, इक्विटी संबद्ध बचत योजना तथा पांच साल की अवधि वाली बैंक मियादी जमा शामिल हैं।
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