बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह पर न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करने का आरोप लगाते हुए बुधवार को उच्चतम न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) का दरवाजा खटखटाया।
सेबी ने न्यायालय में याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि सहारा समूह की जिन दोनों कंपनियों को निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने का आदेश दिया गया था वह मांगे गए सारे दस्तावेज उसे (सेबी को) उपलब्ध नहीं करा रही हैं। याचिका में सेबी ने कहा है कि 10 सितंबर तक नियामक को दस्तावेज नहीं मिले।
न्यायालय ने 31 अगस्त को कहा था कि अगर सहारा समूह की कंपनियां ‘सहारा इंडिया रीयल इस्टेट कारपोरेशन (एसआईआरईसी) तथा सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन (एसएचआईसी) रिफंड करने में विफल रहती हैं तो सेबी इन कंपनियों की संपत्ति जब्त कर सकता है तथा बैंक खातों पर रोक लगा सकता है।
न्यायालय ने सहारा समूह से कहा था कि वह अपने पास सारे दस्तावेज नियामक को उपलब्ध कराए। न्यायालय ने कंपनियों से यह भी कहा था कि वह निवेशकों को तीन महीने के भीतर उनके पूरे पैसे सालाना 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाये। न्यायालय ने सहारा समूह को यह भी आदेश दिया था कि वह अपने पास उपलब्ध सभी दस्तावेज नियामक को उपलब्ध कराए।
न्यायालय ने इस मामले में अपने एक सेवानिवृत न्यायधीश न्यायमूति बीएन अग्रवाल को सेबी द्वारा सहारा समूह की दोनों कंपनियों के खिलाफ की जाने वाले कारवाई पर निगरानी रखने के लिये नियुक्त भी किया। पीठ ने कहा कि कंपनी पर इस तरह के आर्थिक अपराधों में संलिप्त होने पर फौजदारी और आपराधिक मामला होना चाहिए।