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आरबीआई ने इस्लामिक फाइनेंस के लिए सरकार के साथ मिलकर काम शुरू करने का प्रस्ताव दिया

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने सरकार के साथ मिलकर इंट्रेस्ट फ्री बैंकिंग शुरू करने के लिए प्रस्ताव दिया है. इस तरह की बैंकिंग शुरू करने के पीछे मकसद समाज के उस वर्ग को भी बैंकिंग के दायरे में लाना है जोकि किन्हीं धार्मिक कारणों से इससे दूर है.
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NDTV Profit हिंदी12:25 PM IST, 05 Sep 2016NDTV Profit हिंदी
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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने सरकार के साथ मिलकर इंट्रेस्ट फ्री बैंकिंग शुरू करने के लिए प्रस्ताव दिया है.  इस तरह की बैंकिंग शुरू करने के पीछे मकसद समाज के उस वर्ग को भी बैंकिंग के दायरे में लाना है जोकि किन्हीं धार्मिक कारणों से इससे दूर है. इस तरह की बैंकिंग को इस्लामिक फाइनेंस या इस्लामिक बैंकिंग भी कहा जाता है. इसके तहत दुनियाभर के मुस्लिम अल्पसंख्यकों के लिए इस्लामिक फाइनेंस शुरू किया जा सकता है. इस्लामिक यानी शरिया बैंकिंग एक वित्तीय प्रणाली है जोकि ब्याज की कमाई नहीं लेने के सिद्धांत पर आधारित है. इस्लाम में ब्याज की कमाई लेने पर प्रतिबंध है.

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पिछले ही हफ्ते सालाना रिपोर्ट में यह प्रपोजल दिया था. इस प्रपोजल में आरबीआई ने अपने पहले के स्टैंड में परिवर्तन किया है जिसमें कहा गया था कि इस्लामिक फाइनेंस नॉन बैंकिंग चैनलों जैसे कि इंवेस्टमेंट फंड्स या फिर कॉपरेटिव्स द्वारा ऑफर किया जा सकता है.  'भारतीय समाज का एक तबका है जो कि धार्मिक कारणों से वित्तीय तंत्र से अलग है. इन धार्मिक वजहों से यह तबका बैंकों के ब्याज सुविधा वाले उत्पादों से इसका लाभ नहीं उठाता है.' रिजर्व बैंक ने 2015-16 की अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा, 'बैंकिंग तंत्र से अलग रह गए तबके को इसमें शामिल करने के लिए सरकार के साथ विचार विमर्श कर देश में ब्याज-मुक्त बैंकिंग उत्पाद पेश करने के तौर तरीकों को तलाशने का प्रस्ताव किया गया है.'

देश के दूसरे सबसे बड़े धार्मिक समूह के तहत आने वाले अनुमानत: 180 मिलियन मुसलमान इस्लामिक बैंकिंग से नहीं जुड़ पाते थे क्योंकि ऐसा कोई कानून था ही नहीं यानी बैंकिंग ब्याज आधारित है. ब्याज आधारित बैंकिंग इस्लाम में प्रतिबंधित है. आरबीआई ने कहा है कि वह सरकार के साथ मिलकर ब्याजमुक्त बैंकिंग शुरू कर सकता है. बेंगलुरू की इंफिनिटी कंसल्टेंट्स (इस्लामिक फाइनेंस में स्पेशलाइजेशन) के मैनेजिंग पार्टनर सैफ अहमद के मुताबिक, यह निश्चित तौर पर एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह पहली बार है जब आरबीआई ने पुख्ता तौर पर कहा है कि वह अब इस बाबत सरकार के साथ मिलकर काम करेगा. भारत में इस्लामिक बैंक के परिचालन के लिए ससंद द्वारा समानांतर कानून या फिर संशोधन पास किए जाने की जरूरत है और यह सरकार के सक्रिय सहयोग के बाद ही संभव है.

इस्लामिक फाइनेंस को लेकर प्रक्रिया काफी धीमी रही है और इसे लेकर नौकरशाहों और सत्ताधारी पार्टी के नेताओं द्वारा तीखा विरोध किया जाता रहा. हालांकि एग्जिम बैंक ने अप्रैल में कहा था कि वह 100 मिलियन डॉलर का करार इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (आईडीबी) के साथ करेगा. इस साल की शुरुआत में जेद्दाह स्थित इस्लामिक डेवलपमेंट बैंकने अपनी पहली शाखा अहमदाबाद में खोलने की घोषणा की थी.

(न्यूज एजेंसी भाषा से भी इनपुट)

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