रिजर्व बैंक ने रविवार को कहा है कि गवर्नर रघुराम राजन ने यह नहीं कहा कि दुनिया फिर 1930 जैसी महामंदी की स्थिति में फंसने के कागार पर है, क्योंकि उस दौर में मंदी आने के ‘कई और कारण थे।’ आरबीआई का स्पष्टीकरण 1930 जैसी समस्याओं के फिर खड़े होने संबंधी राजन के बयान के बाद आया है। राजन के बयान से एक तरह की खलबली मच गई थी।
रिजर्व बैंक ने हालांकि एक बयान में कहा कि राजन ने यह जरूर कहा था कि ‘दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा जिस तरह की नीतियां अपनाई जा रही हैं, उनके पड़ोसी के लिए गड्ढ़ा रही थीं।’
रिजर्व बैंक ने कहा है कि, महामंदी भारी उथल-पुथल का दौर था जिसके पीछे बहुत से कारण थे और उसमें केवल पड़ोसी के लिए गड्ढ़ा खोदने की रणनीति एकमात्र कारक नहीं थी। गवर्नर राजन के कहने का तात्पर्य यह नहीं था कि विश्व अर्थव्यवस्था के सामने नई महामंदी में डूबने का खतरा है। विश्व अर्थव्यवस्था यूरो क्षेत्र में संकट जैसी अनिश्चितताओं के बावजूद धीरे-धीरे मजबूत हो रही है।’
पड़ोसी के लिए गड्ढ़ा खोदने की रणनीति का अर्थ दूसरे देशों की कीमत पर अपना निर्यात बढ़ाने और आयात कम करने से है। इसके लिए, सामान्यत: देश अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करते हैं ताकि उनका सामान विदेशों में सस्ता और आकषर्क बन सके।
राजन ने गुरुवार को लंदन बिजनेस स्कूल में एक व्याख्यान में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों को विश्व अर्थव्यवस्था के सामने मौजूदा चुनौतियों के समाधान के लिए ‘खेल के नए नियम’ तय करने का आह्वान किया था। उन्होंने आगाह किया था कि 1930 की महामंदी जैसी समस्याएं फिर उभर रही हैं।
रिजर्व बैंक ने स्पष्टीकरण में कहा है कि एक हलके ने गवर्नर रघुराम राजन की टिप्पणियों को ‘गलत रूप’ दे दिया और इसे इस तरह प्रस्तुत किया कि राजन ने कहा कि दुनिया के सामने महामंदी का जोखिम है।’