बैंकों से कामकाज में सुस्ती छोड़ने का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि वह बैंकों के कामकाज में राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ हैं, लेकिन जनहित में जरूरी हस्तक्षेप का समर्थन करते हैं।
मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र से ऐसे बैंक स्थापित करने का आह्वान किया जो कि दुनिया के शीर्ष बैंकों में शामिल हों। उन्होंने बैंकों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करने का भरोसा देते हुए कहा कि बैंकों को पेशेवर ढंग से चलाए जाने की जरूरत है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के शीर्ष कार्यकारियों को दो दिन चले सम्मेलन 'ज्ञान संगम' के आखिरी दिन संबोधित करते हुए मोदी ने कहा 'लेकिन जवाबदेही जरूरी है।' मोदी ने कहा कि सरकार का कोई निहित स्वार्थ नहीं है और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक इससे मजबूती हासिल कर सकते हैं।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत लोकतांत्रिक देश है और वह कामकाज में राजनीतिक हस्तक्षेप के खिलाफ हैं, लेकिन जनता के हित में राजनीतिक हस्तक्षेप का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा 'राजनीतिक हस्तक्षेप से आम आदमी की आवाज इन संस्थानों तक पहुंचाने में मदद मिलेगी।'
मोदी ने 'बैंकिंग कामकाज में सुस्ती' खत्म करने का आह्वान किया और कहा कि बैंकों को आम आदमी की मदद में सक्रिय भूमिका निभाने की जरूरत है।
वित्तीय सेवा सचिव हसमुख अधिया ने 'ज्ञान संगम' के अंत में संवाददाताओं को बैठक के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने बैंकरों से कहा कि उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से कोई फोन नहीं आएगा।
मोदी ने बैंकों से कहा कि वे सायबर अपराध से निपटने के लिए प्रतिबद्ध टीम बनाएं। उन्होंने वित्तीय साक्षरता के क्षेत्र में कमजोरी के मुद्दे को भी रेखांकित किया।
वैश्विक बैंको की सूची में भारतीय बैंको को शीर्ष पर पहुंचाने पर जोर देते हुए उन्होंने कहा 'देश का बैंकिंग क्षेत्र उसकी अर्थव्यवस्था में वृद्धि का प्रतिबिंब होता है। जापान और चीन के आर्थिक उभार के दौर में उनके बैंक विश्व के शीर्ष दस बैंकों में शामिल थे।'