वित्त मंत्रालय राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.8 फीसदी के दायरे में रखने के लिए वर्ष 2013-14 के योजना व्यय में भारी कटौती कर सकता है।
वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने चालू वित्तवर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को 5.3 फीसदी और अगले वित्तवर्ष में 4.8 फीसदी तक सीमित रखने की प्रतिबद्धता जताई है। इस लिहाज से वित्तमंत्री के लिए स्थितियां काफी कठिन होंगी।
सूत्रों ने बताया कि अगले वित्तवर्ष में योजना व्यय पर गाज गिर सकती है, ताकि राजकोषीय घाटे को तय लक्ष्य के मुताबिक 2016-17 तक घटाकर तीन फीसदी पर लाया जा सके। सूत्रों के अनुसार मंत्रालय धन के आवंटन पर भी कड़ी नजर रख सकता है। अगले साल के बजट में राशि आवंटन से पहले चालू वित्तवर्ष में आवंटित धन और उसके इस्तेमाल पर गौर किया जा सकता है।
महालेखानियंत्रक के आंकड़ों के अनुसार दिसंबर, 2012 तक कुल योजना खर्च बजट में अनुमानित राशि का 56.8 प्रतिशत रहा है। हालांकि, इस दौरान गैर-योजना राशि बजट अनुमान का 72 प्रतिशत तक रही यानी 6.95 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
वित्त मंत्रालय ने चालू वित्तवर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 5.3 प्रतिशत के दायरे में रखने के लिए सभी सरकारी विभागों को जनवरी-मार्च तिमाही के दौरान खर्चों को कुल वार्षिक आवंटन का 33 प्रतिशत कम रखने पर जोर दिया है। सरकार ने समाप्त वित्तवर्ष में राजकोषीय घाटे को 5.1 प्रतिशत के शुरुआती अनुमान से बढ़ाकर 5.3 प्रतिशत कर दिया।