सरकार द्वारा नियुक्त एक जांच समिति ने वॉल-मार्ट द्वारा अमेरिका में लॉबिंग गतिविधियों की जांच के मामले में कंपनी के बड़े अधिकारियों को बुलाने का फैसला किया है।
भारत में प्रवेश के लिए कंपनी की कथित लॉबिंग का मुद्दा यहां विवादों के घेरे में है और सरकार द्वारा गठित एक सदस्यीय समिति इस बात की जांच कर रही है कि क्या इस मामले में किसी प्रकार की अनियमितता या भारतीय कानूनों का उल्लंघन हुआ है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल इस एक सदस्यीय समिति के प्रमुख हैं। समिति इस बारे में सरकार को अपनी रिपोर्ट अगले महीने सौंपेगी। गत दिसंबर में वालमार्ट की लाबिंग संबंधी खबरों के प्रकाशन के बाद भारत में राजनीतिक शोर शराबे के बाद सरकार ने जांच बिठाने का फैसला किया था और यह समिति बनाई गई।
सूत्रों ने बताया कि आज हुई बैठक में समिति ने कंपनी की लॉबिंग गतिविधियों तथा भारत में कारोबारी योजना के बारे में जानकारी लेने के लिए उसके शीर्ष कार्यकारियों को बुलाने का फैसला किया है। इस बैठक में वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल हुए।
सूत्रों ने कहा कि दुनिया की इस प्रकार खुदरा क्षेत्र की कंपनी के अधिकारियों को इसी महीने बुलाया जा सकता है।
अपनी जांच में समिति को कारपोरेट मामलों का मंत्रालय प्रशासनिक तथा कामकाज में सहयोग उपलब्ध करा रहा है। मंत्रालय ने पिछले महीने आम जनता से उनके पास वॉल-मार्ट के बारे में मौजूद किसी प्रकार की जानकारी को उपलब्ध कराने को कहा था।
रपटों के मुताबिक वॉल-मार्ट ने भारत में प्रवेश के लिए अमेरिका में लॉबिंग की थी। अमेरकी संसद में जमा कराए गए दस्तावेजों के अनुसार कंपनी ने दिसंबर 2013 की तिमाही में ‘भारत में एफडीआई के मुद्दे पर चर्चा’ समेत विभिन्न मदों पर 14.8 लाख डॉलर करीब आठ करोड़ रुपये खर्च किए थे। इस तरह कंपनी का कुल खर्च वर्ष के दौरान 61.3 करोड़ डॉलर (33 करोड़ रुपये) रहा।