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जॉर्ज सोरोस कौन है जिसके बयान पर स्मृति ईरानी ने दिया है करारा जवाब

Who is George Soros: हंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर अरबपति उद्योगपति जॉर्ज सोरोस ने अपने बयानों के चलते हमेशा से सुर्खियों में रहते हैं. खासतौर पर उनकी नजर भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहे राजनीतिक बदलावों बनी रहती है. सोरोस कई मंचों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सत्ता में पकड़ बनाए रखने के लिए तानाशाही की ओर बढ़ने वाला नेता कहते रहे हैं. भारत में नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर सोरोस ने पीएम मोदी पर निशाना साधा था. सोरोस कहते रहे हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है.
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NDTV Profit हिंदी10:06 AM IST, 18 Feb 2023NDTV Profit हिंदी
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Who is George Soros: हंगरी-अमेरिकी मूल के मशहूर अरबपति उद्योगपति जॉर्ज सोरोस ने अपने बयानों के चलते हमेशा से सुर्खियों में रहते हैं. खासतौर पर उनकी नजर भारतीय उपमहाद्वीप में हो रहे राजनीतिक बदलावों बनी रहती है. सोरोस कई मंचों से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व अमेरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को सत्ता में पकड़ बनाए रखने के लिए तानाशाही की ओर बढ़ने वाला नेता कहते रहे हैं. भारत में नागरिकता संशोधन कानून और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने को लेकर सोरोस ने पीएम मोदी पर निशाना साधा था. सोरोस कहते रहे हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र बनने की ओर बढ़ रहा है. हाल ही में उन्होंने एक बार भारत सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है. बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने इस पर पलटवार करते हुए इसे भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर हमला बताया है.

जानें कौन है ये जॉर्ज सोरोस 
हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में 12 अगस्त, 1930 को पैदा होनेवाला जॉर्ज सोरोस आज अमेरिका में नागरिक है. उपलब्ध जानकारी के अनुसार आज की तारीख में करेंसी बाजार में कारोबार करता है. इसके अलावा स्टॉक्स का बड़ा निवेशक माना जाता है.. कुछ व्यापार हैं और राजनीतिक बयानबाजी के साथ ही कुछ सामाजिक संस्थाओं से जुड़ा भी है. इंग्लैंड में 1992 में बैंक ऑफ इंग्लैंड को इस शख्स ने कड़का बना दिया था. ब्रिटेन के मुद्रा संकट के दौरान इस आदमी एक बिलियन डॉलर का फायदा कमाया था. 

जार्ज सोरोस अपनी कंपनी सोरोस फंड मैनेजमेंट और ओपन सोसाइटी  यूनिवर्सिटी नेटवर्क (OSUN) के प्रमुख है. बता दें कि OSUN एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसमें दुनिया की सभी यूनिवर्सिटी के लोग पढ़ा और शोध करते हैं. सोरोस इसे अपने जीवन का सबसे अहम प्रोजेक्ट मानते हैं. वे इसमें अपनी कमाई का काफी बड़ा हिस्सा लगाते हैं. 

बताया जाता है कि हंगरी (1984-89) में राजनीति को कम्युनिस्टों के हाथों से पूंजीवादियों के हाथ में ले जाने में सोरोस ने अहम भूमिका निभाई थी. कहा जाता है कि पूंजीवादी अरबपति कारोबारी सोरोस सत्ता में न होते हुए दखल देना पसंद करते हैं. जहां तक हो सके अपने हिसाब से सरकार बनाने की कोशिश में भी लगे रहते हैं. सोरोस ने अमेरिका में 2004 में राष्ट्रपति जॉर्ज बुश को दोबारा जीतने से रोकने के लिए चल रहे अभियान को चंदे में एक बड़ी रकम दी थी. ज़ॉर्ज सोरोस ने सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस को स्थापित करने में अहम भूमिका अदा की है. 

बिजनेसमाइंडेड सोरोस ने 1945-1946 में हंगेरिया में बेलगाम मुद्रास्फीति के दौरान मौके का फायदा उठाते हुए पहले करेंसी (मुद्रा) और गहनों का कारोबार शुरू किया था. बताया जाता है कि इसके बाद सोरोस 1947 में इंग्लैंड चला गया और वहीं पर 1952 में लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से स्नातक की पढ़ाई पूरी की. इसके बाद 1956 में जॉर्ज सोरोस अमेरिका चले गए यहां पर न्यूयॉर्क में रहे. उन्होंने 1956 से 1959 तक एफएम मेयर में एक बिजनेसमैन के रूप में और 1959 से 1963 तक वेर्थीम एंड कंपनी में एक एनालिस्ट के तौर पर काम किया.

उपलब्ध जानकारी के अनुसार 1963 से 1973 तक सोरोस ने अर्होल्ड और एस. ब्लेक्रोएडर में उपाध्यक्ष के पद पर काम किया. 1973 तक वे वित्तीय मामलों के खासे जानकार हो गए और उसके बाद नौकरी छोड़ दी और फिर निवेश कंपनी की स्थापना की. इसी कंपनी का नाम क्वांटम फंड रखा. जॉर्ज सोरोस को 2007 में अपनी इस क्वांटम फंड से लगभग 32 फीसदी रिटर्न यानी कुल 2.9 बिलियन डॉलर मिला था.

जानकारी के अनुसार 1988 में फ्रांसीसी बैंक सोसाइटे जेनरले पर सोरोस ने नियंत्रण का प्रयास किया था. पहले नियंत्रण कर लेने के प्रयास में सोरोस ने नीलामी में भाग लेने से मना कर दिया, लेकिन बाद में कंपनी के काफी शेयर खरीद लिये. वहीं अगले ही साल 1989 में फ्रांसीसी अधिकारियों ने इसकी जांच की और 2002 में फ्रांसीसी अदालत ने फैसला सुनाया कि यह व्यापार के जरिए अनधिकृत कब्जा था. इसके लिए जॉर्ज सोरोस पर 2.3 मिलियन डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया. सोरोस फ्रांस की सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचे. सुनवाई के बाद 14 जून 2006 को फ्रांस की सुप्रीम कोर्ट ने अनधिकृत व्यापार की सजा को बरकरार रखा था.

यह बहुत ही आम आरोप है जो जॉर्ज सोरोस पर हमेशा से लगते रहे हैं. दुनिया के विभिन्न देशों में कारोबार और समाजसेवा के नाम पर गए सोरोस की वहां की राजनीति को प्रभावित करते हैं और इसके लिए जॉर्ज सोरोस अपनी दौलत का इस्तेमाल भी करता है. यह भी आरोप लगते रहे हैं. यही कारण है कि कुछ देशों ने उनकी संस्थाओं पर पाबंदी भी लगाई है और कुछ देश उनकी संस्थाओं पर जुर्माना भी लगा चुके हैं. 

एक आश्चर्यभरा बयान सोरोस के हवाले से बताया जाता है. साल 1994 में सोरोस ने एक भाषण में कहा था कि उसने अपनी मां को आत्महत्या करने में मदद देने की पेशकश की थी. जैसा कि अमूमन होता है कि हर नास्तिक अपने को फिलोसफर कहलाना पसंद करता है तो यह बात सोरोस के साथ भी ठीक बैठती है. सोरोस ने एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिखी हैं.

कुछ साल पहले जॉर्ज सोरोस ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में देशों में बढ़ रही अलोकतांत्रिक प्रवृत्तियों के बारे में बोलते हुए कहा था कि भारत में लोकतांत्रिक रूप से चुने गए नरेंद्र मोदी हिन्दू राष्ट्रवादी राज्य बना रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप को लेकर जॉर्ज सोरोस ने कहा था कि राष्ट्रपति ट्रंप ठग हैं. वे आत्ममुग्ध व्यक्ति हैं, जो चाहते हैं कि पूरी दुनिया उनके इर्द-गिर्द घूमती रहे. जब राष्ट्रपति बनने की उनकी कल्पना साकार हो गई, वे इतने ज़्यादा आत्ममुग्ध हो गए कि बीमार से हो गए.

इंटरनेट पर मौजूदा सामग्री के अनुसार इस अमेरिकी सोरोस ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की भी आलोचना की है. इसने कहा है कि जिनपिंग भी कम्युनिस्ट पार्टी की परंपरा तोड़ रहे हैं. उन्होंने खुद के आसपास सत्ता केंद्रित कर रखी है. वह आर्टफ़िशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल कर अपने लोगों को काबू में रखते हैं. वहीं पुतिन को लेकर इसने कहा कि वह तानाशाह शासक हैं.

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