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जौहरियों की हड़ताल से नुकसान पहुंचा एक लाख करोड़ के पार, अनिश्चितता बरकरार

गुजरात में जौहरियों की हड़ताल अब 30 दिन पुरानी हो गई है। इतने दिनों तक जौहरियों की दुकानें पहले कभी भी बंद नहीं रहीं। जौहरी दुकानें छोड़कर रोज सड़कों पर कभी मौन रैली तो कभी बाइक रैली समेत अलग-अलग कार्यक्रम कर रहे हैं।
NDTV Profit हिंदीRajeev Pathak
NDTV Profit हिंदी05:34 PM IST, 30 Mar 2016NDTV Profit हिंदी
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गुजरात में जौहरियों की हड़ताल अब 30 दिन पुरानी हो गई है। इतने दिनों तक जौहरियों की दुकानें पहले कभी भी बंद नहीं रहीं। जौहरी दुकानें छोड़कर रोज सड़कों पर कभी मौन रैली तो कभी बाइक रैली समेत अलग-अलग कार्यक्रम कर रहे हैं। विरोध हो रहा है सोने-चांदी के गहनों पर एक प्रतिशत एक्साइज ड्यूटी का। सरकार से बातचीत हुई है, लेकिन नतीजा नहीं निकल रहा।

सरकार कुछ प्रावधानों पर सुधार के लिए तैयार है, लेकिन एक्साइज़ ड्यूटी वापस लेने को तैयार नहीं। एक हाइपावर कमेटी बनाई गई है जोकि 60 दिनों में रिपोर्ट देगी, लेकिन जौहरी इससे संतुष्ट नहीं हैं। लिहाजा, उनकी हड़ताल जारी है।

महत्वपूर्ण है कि इस हड़ताल से रोज़ाना हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। एक अनुमान के अनुसार, देश में रोजाना पांच से 6,000 करोड़ रुपये का सोने का कारोबार होता है। अब तक देशभर में व्यापार के नुकसान का आंकड़ा एक लाख करोड़ को पार कर गया है, लेकिन समाधान का रास्ता नजर नहीं आ रहा है। सरकार को लगता है कि सोने में ड्यूटी बढ़ाकर इस क्षेत्र में काले धन को कम किया जा सकता है। सरकारी अनुमान यह है कि ज्यादातर लोग अपने काले धन से सोना-चांदी खरीदते हैं। एक्साइज़ ड्यूटी से जहां हरएक स्तर पर पैसों का हिसाब लगाया जा सकेगा और सरकार को आय भी होगी।

जबकि जौहरियों को लगता है इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा ही। उनका कहना है कि पहले भी जब सोने में सरकारी विभागों का दखल ज्यादा था तब भ्रष्टाचार अपने चरम पर था। सरकार अपनी मान्यता की वजह से उनके व्यापार को भारी नुकसान कर रही है। इस एक्साइज़ ड्यूटी से लोगों के लिए सोना और महंगा हो जाएगा, उनके व्यापार पर नुकसान होगा औऱ सरकारी विभाग को भ्रष्टाचार के लिए पैसे देने पड़ेंगे वो अलग, क्योंकि एक गहना बनने में सोने की सफाई, शुद्धता, क्वालिटी से लेकर कारीगर औऱ बिक्री तक कई स्तर से काम होता है। इतने सभी स्तरों पर एक्साइज़ के कागज़ात करना संभव नहीं, लिहाज़ा बचने के लिए सरकारी अधिकारीयों को पैसे खिलाने पड़ेंगे। दोनों ही पक्ष अपनी बात मनवाने पर अडे़ हुए हैं।

लेकिन इस हड़ताल में गहनों को बनाने वाले कारीगर पिस रहे हैं, क्योंकि उनकी मजदूरी मारी जा रही है। फिलहाल तो जौहरियों ने उन्हें तनख्वाह देना तय किया है, लेकिन काम के अभाव में उन्हें काफी दिक्कतें आ रही हैं।

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लेखकRajeev Pathak
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