उद्योग और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार के साथ भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 2014-15 में 5.5 प्रतिशत हो सकती है, लेकिन देश को अपनी अंतर्निहित क्षमता के अनुसार संभाव्य वृद्धि तक पहुंचने में कुछ और समय लग सकता है। यह बात एशियाई विकास बैंक (एडीबी) की एक रपट में कही गई है।
एडीबी ने 2014 के अनुमान में कहा है, भारत में आर्थिक वृद्धि में गिरावट का हाल का दौर खत्म हो गया है, लेकिन अर्थव्यवस्था अपनी अंतर्निहित क्षमता के अनुसार, पूरा प्रदर्शन तब तक नहीं कर सकती जब तक कि इसकी बुनियादी अड़चने दूर नहीं हो जातीं। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के मुताबिक, भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2013-14 में 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में यह 4.5 प्रतिशत थी, जो एक दशक का न्यूनत स्तर था।
2009 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी से पहले अर्थव्यवस्था नौ प्रतिशत की दर से वृद्धि दर्ज कर रही थी।
एडीबी के उप मुख्य अर्थशास्त्री जुजोंग जुआंग ने कहा, दीर्घकालिक में भारत में तेज वृद्धि की संभावना है, क्योंकि श्रम, कामगार कौशल, पूंजी, बुनियादी ढांचा और उत्पादकता के लिहाज से दृष्टिकोण बेहतर है। उन्होंने कहा कि देश को सुधारों के मामले में गंभीर प्रयास करने की जरूरत होगी ताकि आने वाले दिनों में उच्च वृद्धि दर प्राप्त की जा सके और उसे बरकार रखा जा सके।