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रुपये में गिरावट और बिकवाली से भारतीय अर्थव्यवस्था प्रभावित

सरकार ने तेजी से बढ़ते चालू खाते के अंतर को काबू में करने के लिए सोने पर आयात टैक्स औऱ पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर शुल्क बढ़ा दिए. इस कदम से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अन्य ऊर्जा निर्यातकों को झटका लगा, जिससे बेंचमार्क इंडेक्स 1.7% तक गिर गया.
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NDTV Profit हिंदी12:19 PM IST, 04 Jul 2022NDTV Profit हिंदी
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पिछले छह महीनों से निवेशक बिकवाली से जूझ रहे है तो उधर भारत की मुद्रा में भी रिकॉर्ड गिरावट दर्ज हो रही है. नतीजतन सरकार को घाटे को कम करने के लिए सोने के आयात और तेल निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए बाध्य होना पड़ रहा है. सरकार ने तेजी से बढ़ते चालू खाते के अंतर को काबू में करने के लिए सोने पर आयात टैक्स औऱ पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर शुल्क बढ़ा दिए. इस कदम से रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अन्य ऊर्जा निर्यातकों को झटका लगा, जिससे बेंचमार्क इंडेक्स 1.7% तक गिर गया.

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, नई दिल्ली का यह कदम प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के सामने आने वाली आर्थिक चुनौतियों को भी रेखांकित करता है क्योंकि दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति में तेजी दिख रही है और बाहरी वित्त भी खराब हो रहा है. जाहिर है केंद्रीय बैंक मुद्रा की गिरावट को धीमा करने के लिए संघर्ष कर रहा है क्योंकि रुपये में गिरावट से कीमतों पर और अधिक दबाव पड़ेगा जिससे दरों में बढ़ोतरी हो सकती है जो विकास को प्रभावित करेगी.

जबकि भारतीय रिजर्व बैंक इस साल रुपये की 6% की गिरावट को संभालने की कोशिश कर रहा है तो बैंकों ने डॉलर की कमी की सूचना दी है. वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि मई और जून में सोने के आयात में अचानक उछाल की वजह से ये नए कदम उठाने पड़े.

सरकार ने सोने पर आयात शुल्क बढ़ाकर 12.5 फीसदी कर दिया है. गैसोलीन और डीजल के शिपमेंट पर उच्च करों ने एक प्रमुख निर्यातक रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में 8.9% तक की गिरावट दर्ज की.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत सोने के आयात को हतोत्साहित करना चाहता है जिससे विदेशी मुद्रा को बचा कर रखा जा सके. उन्होंने कहा कि "असाधारण समय" में ईंधन निर्यात पर अप्रत्याशित कर लगाने सहित ऐसे उपायों की आवश्यकता होती है. जाहिर है कि कई उभरते बाजारों में नीति निर्माताओं को कड़े विकल्पों का सामना करना पड़ता है क्योंकि वे बढ़ती मुद्रास्फीति और पूंजी के उड़ान से जूझ रहे होते हैं.

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