भारत सहित दुनिया भर में बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी के बीच मंदी की आहट सुनाई देने लगी है. रूस-यूक्रेन युद्ध के यूरोप समेत दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ रहे असर, वैश्विक सप्लाई चेन में आई लड़खड़ाहट और महंगाई को थामने के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी के दौर का असर सीधे सीधे विकास दर पर पड़ता दिख रहा है. आईएमएफ ने मंगलवार को एक बार फिर वैश्विक विकास पूर्वानुमानों को घटा दिया है. भारत के लिए भी विकास पूर्वानुमानों को घटाया गया है.
आईएमएफ ने वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक के एक अपडेट में कहा कि वैश्विक वास्तविक जीडीपी वृद्धि 2022 में धीमी होकर 3.2 प्रतिशत हो जाएगी, वहीं अप्रैल में जारी पूर्वानुमान 3.6 प्रतिशत था. इसमें कहा गया है कि चीन और रूस में मंदी के कारण दुनिया की जीडीपी वास्तव में दूसरी तिमाही में कम हुई है.
अमेरिका के लिए आईएमएफ ने 2022 में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि के अपने 12 जुलाई का पूर्वानुमान जताया था और 2023 के लिए एक फीसदी का अनुमान जताया है. वहीं 2022 के लिए आईएमएफ ने चीन के लिए जीडीपी विकास पूर्वानुमान को 4.4 से घटाकर 3.3 कर दिया है.
साथ ही आईएमएफ ने कहा है कि पश्चिमी देशों द्वारा वित्तीय और ऊर्जा प्रतिबंधों को कड़ा करने के कारण 2022 में रूस की अर्थव्यवस्था में 6.0 प्रतिशत की गिरावट और 2023 में 3.5 प्रतिशत की गिरावट का पूर्वानुमान लगाया है. वहीं युद्ध के कारण यूक्रेन की अर्थव्यवस्था करीब 45 प्रतिशत तक सिकुड़ने का अनुमान है.
भारत पर भी इसका असर पड़ेगा. साल 2022 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.4 फीसदी की वृद्धि का अनुमान जताया है, वहीं 2023 में इसके घटकर इसमें 6.1 फीसदी का अनुमान जताया गया है.
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