ICICI Bank-Videocon Fraud Case: आज यानी मंगलवार को आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) लोन धोखाधड़ी मामले (Loan Fraud Case) में बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर (Chanda Kochhar) और उनके पति दीपक कोचर (Deepak Kochhar) को रिहा कर दिया गया है. कल बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह गिरफ़्तारी कानून के मुताबिक नहीं हुई थी. इसके साथ ही कोर्ट ने चंदा कोचर और उनके पति को राहत देते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया.
चंदा कोचर (Chanda Kochhar) पर मार्च 2018 में अपने पति को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था. चंदा कोचर उस कमेटी का हिस्सा रहीं, जिसने 26 अगस्त 2009 को बैंक द्वारा वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स (Videocon International Limited) को 300 करोड़ रुपये और 31 अक्टूबर 2011 को वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड (Videocon Industries Limited) को 750 करोड़ रुपये देने की मंजूरी दी थी. कमेटी का इस फैसले में बैंक के रेगुलेशन और पॉलिसी का उल्लंघन किया गया था.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मई 2020 में चंदा कोचर और उनके पति से करोड़ो रुपये के लोन और इससे जुड़े अन्य मामलों में पूछताछ की थी. यह लोन ICICI बैंक ने वीडियोकॉन को 2009 और 2011 में दिया था. उस समय चंदा कोचर बैंक की MD और CEO थीं. इस मामले में CBI ने भी FIR दर्ज करके जांच शुरू कर दी थी. इसके बाद ED ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर को गिरफ्तार किया था.
सीबीआई (CBI) ने 23 दिसंबर को इन दोनों को 2012 में वीडियोकॉन समूह (Videocon Group) को बैंक द्वारा स्वीकृत ऋण में कथित धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया था. सीबीआई का आरोप था कि वे जवाब देने में टालमटोल कर रहे थे और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे. जिसके बाद पति-पत्नी को हिरासत में ले लिया गया था. इसके कुछ दिनों बाद यानी 26 दिसंबर को वीडियोकॉन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत को भी गिरफ्तार किया गया था.
दरअसल, वीडियोकॉन समूह के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के कोचर के पति दीपक कोचर के साथ बिजनेस संबंध हैं. वीडियोकॉन ग्रुप की मदद से बनी एक कंपनी बाद में चंदा कोचर के पति दीपक कोचर की अगुआई वाली पिनैकल एनर्जी ट्रस्ट के नाम कर दी गई. यह आरोप लगाया गया कि धूत ने दीपक कोचर की सह स्वामित्व वाली इसी कंपनी के ज़रिये लोन का एक बड़ा हिस्सा ट्रांसफर किया था. इसके साथ ही यह भी आरोप है कि 94.99 फ़ीसदी होल्डिंग वाले ये शेयरों को महज 9 लाख रुपये में ट्रांसफ़र कर दिया गया था.
जिसके बाद पहले तो बैंक ने शुरुआत में कोचर के ख़िलाफ़ मामले को आनन-फानन में रफा-दफ़ा करने की कोशिश की, लेकिन बाद में लोगों और मार्केट रेगुलेटर के लगातार दबाव के चलते पूरे मामले की जांच के आदेश दिए गए. आईसीआईसीआई बैंक ने स्वतंत्र जांच कराने का फ़ैसला लिया. बैंक ने 30 मई 2018 को घोषणा की थी कि बोर्ड व्हिसल ब्लोअर के आरोपों की 'विस्तृत जांच' करेगा. फिर इस मामले की स्वतंत्र जांच की ज़िम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएन श्रीकृष्णा को सौंपी गई. जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट की जांच पूरी हुई और चंदा कोचर को दोषी पाया गया.