ऊंची ब्याज दरों, महंगाई तथा कई प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में मंदी के कारण आगामी महीनों में भारत की आर्थिक वृद्धि दर में और कमी आ सकती है। उद्योग मंडल एसोचैम के सर्वेक्षण में यह अनुमान लगाया गया है।
एसोचैम ने रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्तवर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि दर 5 से 5.5 फीसदी के बीच होगी। रिपोर्ट में कहा गया कि सर्वेक्षण में शामिल ज्यादातर मुख्य कार्यकारियों ने कहा कि हालात बेहतर होने से पहले, थोड़े और खराब हो सकते हैं, क्योंकि ऊंची ब्याज दर व महंगाई और कई प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में मंदी का भारत समेत प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं पर असर होगा।
भारत की वृद्धि दर चालू वित्तवर्ष की जुलाई से सितंबर की अवधि में 5.3 फीसदी रही। ऐसा विनिर्माण और कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण हुआ, जिससे नरमी बरकरार रहने के संकेत मिलते हैं। उद्योग मंडल ने कहा, नरमी खत्म होने वाली है, लेकिन चालू वित्तवर्ष की आखिरी तिमाही में बेहतरी से पहले हालात और खराब होंगे। सर्वेक्षण ने कहा कि कारोबारी भरोसा बहाल करने में संसद में राजनीतिक गतिरोध खत्म होने की प्रमुख भूमिका होगी।