देश के शेयर बाजारों के निवेशकों की नजर अगले सप्ताह मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही के परिणामों और भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा पर टिकी रहेगी।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोमवार 29 जुलाई 2013 को प्रमुख उद्योगपतियों के साथ एक बैठक कर अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के उपयों पर चर्चा करेंगे। इस बैठक में चालू खाता घाटा, औद्योगिक विकास, रुपये के अवमूल्यन की स्थिति में सुधार के उपायों तथा कौशल विकास, दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे, चेन्नई-बेंगलुरू औद्योगिक गलियारे और अमृतसर-दिल्ली-कोलकाता औद्योगिक गलियारे के बारे में चर्चा होगी।
रिजर्व बैंक मंगलवार 30 जुलाई को 2013-14 की मौद्रिक नीति की पहली तिमाही समीक्षा की घोषणा करेगा। बैंक ने डॉलर के मुकाबले रुपये के अवमूल्यन पर रोक लगाने के लिए पिछले दिनों बैंकों की तरलता कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
अमेरिकी बाजार में फेडरल ओपेन मार्केट समिति मंगलवार और बुधवार (30 और 31 जुलाई) को बैठक कर फेडरल रिजर्व की नीति पर बयान जारी करेगी। इसके अलावा यूरोपीय केंद्रीय बैंक भी गुरुवार एक अगस्त 2013 को अपनी नीति से संबंधित फैसलों की घोषणा करेगा।
अगले सप्ताह भी शेयर बाजारों में सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा मौजूदा कारोबारी साल की पहली तिमाही के परिणामों की घोषणा का दौर जारी रहेगा। शनिवार को कारपोरेशन बैंक, देना बैंक, पंजाब एंड सिध बैंक अपने परिणामों की घोषणा करेंगे।
सोमवार को भारती इंफ्राटेल, इंडियन बैंक, जयप्रकाश एसोसिएट्स, रिलायंस कैपिटल, सिंडिकेट बैंक और विजया बैंक अपने परिणामों की घोषणा करेंगे।
मंगलवार को हैवेल्स इंडिया, जिंदल स्टील, एनटीपीसी, रिलायंस इन्फ्रा, श्री सिमेंट, ट्रेंट, ऊषा मार्टिन और जी न्यूज अपने परिणामों की घोषणा करेंगे।
बुधवार को आंध्रा बैंक, भारती एयरटेल, आईसीआईसीआई बैंक, जागरण प्रकाशन, कर्नाटक बैंक और एनएचपीसी अपने परिणामों की घोषणा करेंगे।
गुरुवार को कैनरा बैंक, कैस्ट्रॉल इंडिया, आइडिया सेल्युलर, जम्मू एवं कश्मीर बैंक, रिलायंस कम्युनिकेशंस, यूनियन बैंक अपने परिणामों की घोषणा करेंगे।
शुक्रवार को नैवेली लिग्नाइट, पुंज लॉयड, सीमेंस, सन टीवी नेटवर्क, सुजलॉन एनर्जी और टीवी टुडे अपने परिणामों की घोषणा करेंगे।
पांच अगस्त से शुरू होने वाले संसद के मानसून सत्र का भी निवेशकों के निवेश फैसले पर असर हो सकता है। मानसून सत्र में कई महत्वपूर्ण विधेयक संसद में पेश होने की उम्मीद है। इनमें प्रमुख हैं भूमि अधिग्रहण विधेयक, बीमा विधेयक, पेंशन विधेयक, कंपनी विधेयक और प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक।
आने वाले कुछ सप्ताहों में बाजार में शेयरों की व्यापक आपूर्ति के कारण शेयर बाजारों के सूचकांकों के ऊपर की ओर बढ़ने की उम्मीद कम है। शेयर बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के दिशानिर्देश के मुताबिक सूचीबद्ध कंपनियों में प्रमोटर की हिस्सेदारी घटानी होगी और आम निवेशकों को एक निश्चित अनुपात में हिस्सेदारी देनी होगी। निजी सूचीबद्ध कंपनियों के लिए कंपनी में प्रमोटर की हिस्सेदारी की ऊपरी सीमा 75 फीसदी और सरकारी सूचीबद्ध कंपनियों में प्रमोटरों की हिस्सेदारी की ऊपरी सीमा 90 फीसदी तय की गई है।
सेबी के आदेश के मुताबिक निजी कंपनियों के संस्थापकों को अपनी हिस्सेदारी घटाकर अधिकतम 75 फीसदी के दायरे में लाने के लिए समय सीमा 30 जून निर्धारित थी, जबकि सरकारी कंपनियों को आठ अगस्त तक सेबी के आदेश पालन करना होगा।
वर्ष 2014 में सरकारी कंपनियों के विनिवेश के सरकारी लक्ष्य से भी शेयरों की बिकवाली को हवा मिलेगी। सरकार ने सार्वजनिक कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से वर्तमान कारोबारी वर्ष में 40 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। सरकार ने निजी कंपनियों में भी अपनी हिस्सेदारी के विनिवेश से 14 हजार करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है।
लोकसभा चुनाव से जुड़ी खबरों के चलते अगले साल मई तक शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बने रहने के आसार हैं। माना जा रहा है कि अगली सरकार कई पार्टियों की मिली जुली हो सकती है। सुधार की प्रक्रिया के अवरुद्ध होने की आशंका है। इसका असर वित्तीय घाटा प्रबंधन पर नकारात्मक रूप से पड़ सकता है। और वैश्विक रेटिंग एजेंसियां भारत की रेटिंग घटा सकती हैं।
बाजार में इस वक्त सेंसेक्स से बाहर बड़ी संख्या में शेयरों में काफी गिरावट चल रहा है इसे देखते हुए निवेशक बॉटम अप की रणनीति अपना सकते हैं। यानी वे सस्ते शेयर खरीद सकते हैं। छोटे निवेशकों को इस दौरान सेक्टर कॉल लेने के बजाय खास-खास शेयरों पर ध्यान देना चाहिए।