भारतीयों का विदेशों में 2,000 अरब डॉलर (करीब 1,20,000 करोड़ रुपये) का कालाधन होने का दावा करते हुए वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने सरकार को इसकी स्वैच्छिक वापसी के लिए छह माह की माफी योजना पेश करने और उस पर 40 फीसदी की दर से कर लगाने का सुझाव दिया है।
एसोचैम की कानूनी मामलों की समिति के अध्यक्ष आरके हांडू ने कालेधन पर एसोचैम की अध्ययन रिपोर्ट जारी करते हुए संवाददाताओं से कहा कि विदेशों में पड़े कालेधन को वापस लाने के लिए 'माफी योजना एक बेहतर और व्यावहारिक योजना है।'
सरकार ने 1997 में इस प्रकार की 'आय की स्वैच्छिक घोषणा योजना (वीडीआईएस)' के जरिए 10,000 करोड़ रुपये जुटाए थे। हालांकि, योजना को लेकर विरोध के स्वर उठे और कहा गया कि यह योजना ईमानदार करदाताओं को दंडित करने कर चोरी करने वालों को प्रोत्साहन देने के समान है।
सरकार ने बाद में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया, जिसमें कहा गया कि वीडीआईएस इस तरह की आखिरी योजना है और वह भविष्य में ऐसी कोई योजना नहीं लाएगी। हांडू ने इसके जवाब में कहा कि सरकार इस मामले में फिर से सुप्रीम कोर्ट जा सकती है और मंजूरी ले सकती है।
विदेशों में भारतीयों का 2,000 अरब डॉलर का कालाधन होने का एसोचैम का अनुमान विभिन्न रिपोर्टों में दिए गए अनुमान पर आधारित है।
नरेंद्र मोदी सरकार ने मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में कालेधन का पता लगाने के लिए 'विशेष जांच दल - एसआईटी' गठित करने को मंजूरी दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार ने यह कदम उठाया है।