अगर आप भी इस बात को लेकर राहत महसूस कर रहे थे कि तेल के दाम स्थिर है तो हो सकता है कि आपकी ये खुशी जल्द गायब हो जाए. पेट्रोल और डीजल की कीमतें (Petrol-Diesel Price) फिर सताना शुरू कर सकती है. क्योंकि कच्चे तेल का दाम (Crude Oil) रिकॉर्ड स्तर पर चल रहा है और साथ ही विधानसभा चुनाव भी खत्म होने वाले हैं. ऐसे में कीमतों में बढ़ोतरी अगले सप्ताह (Next Week) फिर से शुरू होने की आशंका जताई जा रही है.
असल में यह बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल कीमतों में 100 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी से पैदा हुए 9 रुपये प्रति लीटर के अंतर को पाटने के लिए होगी. कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 2014 के बाद पहली बार 110 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंची हैं. ऑयल मिनिस्ट्री के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) के मुताबिक, 1 मार्च को भारत में कच्चे तेल की खरीदारी 102 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर की गई, जो अगस्त 2014 के बाद सबसे ज्यादा है.
इसके साथ ही जेपी मॉर्गन ने एक रिपोर्ट में कहा, "हम अगले सप्ताह राज्यों में चुनाव खत्म होने के साथ तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की उम्मीद जता रहे हैं. इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (IOC), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL), हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) पेट्रोल और डीजल दोनों पर 5.7 रुपये प्रति लीटर का घाटा झेल रही हैं. वहीं ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि तेल कंपनियों को अपने औसत मुनाफा हासिल करने के लिए खुदरा कीमतों में 9 रुपये प्रति लीटर या 10 प्रतिशत का इजाफा करने की दरकरार है.
हम छोटे उत्पाद शुल्क में कटौती (1-3 रुपये प्रति लीटर) और खुदरा मूल्य वृद्धि (5-8 रुपये प्रति लीटर) के गठजोड़ की उम्मीद करते हैं, जो 100 डॉलर प्रति बैरल तेल की कीमत के घाटे को भरने में सहयोग करेगा. आपको बता दें कि रूस यूरोप की प्राकृतिक गैस का एक तिहाई और वैश्विक तेल उत्पादन का लगभग 10 प्रतिशत उत्पादित करता है. जबकि यूरोप को लगभग एक तिहाई रूसी गैस यूक्रेन के रास्ते पाइपलाइनों से मिलती है. ऐसे में रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव के बीच कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी जारी है.
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