बॉलीवुड फिल्मों में आखिर क्यों लिया जाता है इंटरवल, सिर्फ पॉपकॉर्न खाना ही नहीं है वजह, जानें असली कारण

मूवी थिएटर में फिल्म देखने जाना मतलब इंटरवल में पॉपकॉर्न खाने को मिलना, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह इंटरवल का कॉन्सेप्ट आया कहां से और हॉलीवुड फिल्मों में इंटरवल क्यों नहीं होता है.

बॉलीवुड फिल्मों में आखिर क्यों लिया जाता है इंटरवल, सिर्फ पॉपकॉर्न खाना ही नहीं है वजह, जानें असली कारण

पॉपकॉर्न खाने के लिए नहीं इस वजह से भी लिया जाता है फिल्मों के बीच इंटरवल

नई दिल्ली:

3 घंटे की फिल्म जब हम बड़े पर्दे पर देखने जाते हैं, तो इसमें बीच में एक इंटरवल होता है जिसे इंटरमिशन भी कहा जाता है. इस दौरान थिएटर की पब्लिक बाहर जाकर पॉपकॉर्न, कोल्ड ड्रिंक, कॉफी, समोसा या खाने की बहुत सारी चीज खरीदती है. लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि यह इंटरवल सिर्फ खाने पीने के लिए ही होता है या इसके पीछे कोई और कारण भी है? अगर नहीं, तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि भारत में इंटरवल लेने का ट्रेंड क्यों शुरू हुआ और उसके पीछे क्या कारण है.

हॉलीवुड फिल्मों में नहीं होता है इंटरवल 

सबसे पहले तो हम आपको ये बता दें कि यह इंटरवल का कॉन्सेप्ट सिर्फ भारत में ही चलता है, हॉलीवुड फिल्मों में इंटरवल नहीं होता है. लेकिन जब कोई हॉलीवुड फिल्म भारत में रिलीज होती है, तो इसमें बीच में इंटरवल जोड़ा जाता है. हॉलीवुड फिल्मों में इंटरवल इसलिए नहीं लिया जाता है क्योंकि ये फिल्म 3 एक्ट स्ट्रक्चर को ध्यान में रखकर लिखी जाती है, जिसमें एक्ट में पहले किरदार को स्थापित किया जाता है, फिर उसके संघर्ष या टकराव के बारे में बताया जाता है और तीसरे एक्ट में इस संघर्ष या टकराव का समाधान ढूंढा जाता है. इस वजह से ब्रेक लेने की कोई वजह नहीं होती है और हॉलीवुड फिल्में ज्यादा लंबी भी नहीं होती, ये लगभग 100 मिनट की फिल्म ही होती है, इसलिए दर्शक इसे बिना ब्रेक के देखना पसंद करते हैं.

भारत में क्यों फिल्मों के बीच में लिया जाता है ब्रेक 

  • अब बारी आती है कि भारतीय फिल्मों में ब्रेक यानी कि इंटरवल क्यों लिया जाता है? तो आपको बता दें कि बॉलीवुड फिल्में हॉलीवुड फिल्मों की तुलना में ज्यादा लंबी होती है और इस वजह से 3 घंटे की फिल्म को डेढ़-डेढ़ घंटे के पार्ट में डिवाइड किया जाता है, ताकि दर्शकों को भी थोड़ा रिलैक्स मिल सके.
  • दूसरी ओर इंटरवल लेने की टेक्निकल वजह ये भी है कि पहले की फिल्मों में बड़ी-बड़ी रील्स का इस्तेमाल किया जाता था और इंटरवल लेने के दौरान इन रील्स को बदला जाता था, क्योंकि अमूमन फिल्में दो रील में बनती थी. ऐसे में बीच में ब्रेक लेकर दूसरी रील को चेंज किया जाता था.

आर्थिक रूप से देखा जाए तो इंटरवल लेने की वजह 

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मूवी थिएटर को होने वाले फायदे से भी है. दरअसल, थिएटर में इंटरवल के दौरान खाने पीने की ढेर सारी चीज मिलती है और यह थिएटर की कमाई का एक बड़ा सोर्स होता है. कई थिएटर में तो टिकट की कीमत से ज्यादा के पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक मिलते है. ऐसे में आर्थिक रूप से भी भारत में इंटरवल लिए जाने का ट्रेंड है.