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This Article is From Nov 08, 2023

जब अक्षय कुमार की फीस ने आईपीएल की इस टीम का बिगाड़ दिया था बजट, आ गई थी घाटे में, फिर एक्टर ने लिया था ये फैसला

क्या आप जानते हैं कि एक आईपीएल टीम को अक्षय कुमार को अपना चेहरा बनाना काफी भारी पड़ गया था ? एक्टर ने इतनी मोटी फीस ले ली थी की टीम का बजट बिगड़ गया था.

जब अक्षय कुमार की फीस ने आईपीएल की इस टीम का बिगाड़ दिया था बजट, आ गई थी घाटे में, फिर एक्टर ने लिया था ये फैसला
जब अक्षय कुमार की फीस ने आईपीएल की इस टीम का बिगाड़ दिया था बजट
नई दिल्ली:

आईसीसी वर्ल्ड कप 2023 (ICC World Cup 2023 Final) का सेमीफाइनल और फाइनल होने में अब ज्यादा समय नहीं बचा है. टीम इंडिया ने लगातार जीत के साथ सेमी फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली है. इंडिया के खिलाड़ी लगातार अपनी परफॉर्मेंस से दर्शकों के दिलों को जीत रहे हैं. केवल वर्ल्ड कप में ही नहीं टीम इंडिया के खिलाड़ी आईपीएल (IPL) में भी अपने शानदार प्रदर्शन की वजह से सुर्खियां बटोरते हैं. आईपीएल क्रिकेटर और फिल्मी सितारों से भरी लीग है. शाहरुख खान और प्रीति जिंटा जैसे फिल्मी सितारे क्रिकेट टीम के मालिक हैं.

लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक आईपीएल टीम को अक्षय कुमार (Akshay Kumar IPL Team) को अपना चेहरा बनाना काफी भारी पड़ गया था ? एक्टर ने इतनी मोटी फीस ले ली थी की टीम का बजट बिगड़ गया था. हालांकि अक्षय कुमार ने बाद में टीम के पैसे वापसे वापस कर दिए थे. जी हां, इस टीम का नाम दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स था, जो अब आईपीएल में दिल्‍ली कैपिटल्‍स के नाम से जानी जाती है. इस बात की खुलासा पूर्व बीसीसीआई (क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया) के जनरल मैनेजर अमृत माथुर ने अपनी किताब पिचसाइड: माई लाइफ इन इंडियन क्रिकेट में किया है.

दरअसल साल 2009 में दिल्‍ली कैपिटल्‍स अक्षय कुमार (Akshay Kumar) को अपना चेहरा बनाया, जिसके लिए एक्टर और टीम के मालिकों के बीच तीन साल का करार हुआ था. जिसमें कहा गया था कि वह टीम के कॉर्पोरेट कार्यक्रमों में उपस्थिति दर्ज कराएंगे और दिल्‍ली कैपिटल्‍स की ब्रांड छवि को बेहतर बनाएं. माथुर ने किताब में खुलासा किया कि अक्षय कुमार के साथ समझौते के बाद, चीजें खराब हो गईं क्योंकि टीम को नहीं पता था कि उसका फायदा कैसे उठाया जाए, और सीजन के बाद, जब उन्होंने अपने खर्चों पर ध्यान दिया, तो गंभीर आर्थिक नुकसान हुआ.

उन्होंने लिखा, अक्षय कुमार के कॉन्ट्रैक्ट में एकजिट का कोई ऑप्शन नहीं था और यह एक बड़ा कॉन्ट्रैक्ट था. हमारे लिए आखिरी विकल्प दया की अपील करना था और मैंने उनसे मिलने का फैसला किया. मैं उनकी वैनिटी वैन के पास गया और झिझकते हुए उनसे कहा, 'सर, हम आर्थिक रूप से पीड़ित हैं', और उन्होंने सहानुभूतिपूर्ण स्वर में कहा, 'कोई बात नहीं जी, अगर यह काम नहीं कर रहा है, तो इसे बंद कर दें. इसको खत्म कर देते हैं। मैंने उनसे कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के बारे में पूछा, और उन्होंने जवाब दिया, 'कोई बात नहीं, मैं वकील को बोल दूंगा.'

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