हिंदी सिनेमा के पार्श्व गायक मोहम्मद रफी के नगमे आज भी दिल को बहका देते हैं. रफी साहब भारत के सबसे बड़े सिंगर बनने का ताज अपने सिर रखते हैं. हालांकि, आज वह हम सबके बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज उनके गानों के जरिए हमारे कानों में गूंजती है. आज रफी साहब जिंदा तो हमारे बीच 100वां जन्मदिन मना रहे होते. आज 23 दिसंबर को रफी साहब की 100वीं बर्थ एनिवर्सरी है. रफी साहब के गानों ने कई एक्टर्स को स्टार बनाया था, लेकिन हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार इस दिग्गज गायक के करियर के लिए काल बन गया था. चलिए बताते हैं आखिर क्या है पूरा माजरा.
जब डूब गया था रफी की करियर
कहा जाता है कि रफी साहब और किशोर दा को प्रतिद्वंद्वी माना जाता था, लेकिन असल में वह बेहद अच्छे दोस्त थे. गौरतलब है कि जब रफी साहब का निधन हुआ तो किशोर दा फूट-फूट कर रोए थे. दरअसल, 70 के दशक में रफी से ज्यादा किशोर कुमार की आवाज ने दर्शकों पर अपना कब्जा कर लिया था. वहीं, उस दौर में संगीतकारों की पहली पसंद किशोर दा हुआ करते थे. ऐसे में रफी साहब के लिए मुश्किल हो गई, क्योंकि उन्हें गाने नहीं मिल रहे थे. जानकर हैरानी होगी कि इसकी सबसे बड़ी वजह सुपरस्टार राजेश खन्ना थे, क्योंकि 70 के दशक में राजेश खन्ना और किशोर दा की जोड़ी ने हिंदी सिनेमा पर कब्जा कर रखा था. वहीं, साल 1973 में धर्मेंद्र की वजह से रफी साहब के करियर ने एक बार फिर हवा पकड़ी.
इस गाने ने दिया बड़ा मौका
दरअसल, साल 1973 में हिंदी सिनेमा के ही-मैन धर्मेंद्र की फिल्म लोफर में रफी साहब को मौका दिया गया. इस फिल्म के लिए रफी ने चार्टबस्टर सॉन्ग आज 'मौसम बड़ा बेईमान है' गाया. रफी ने डूबते करियर के बीच यह गाना गाया, जो आज भी लोगों की जुबां पर रटा हुआ है. ना सिर्फ यह गाना बल्कि फिल्म लोफर भी सुपरहिट साबित हुई थी. फिल्म में धर्मेंद्र और मुमताज की जोड़ी ने गजब ढा दिया था. बता दें, रफी साहब अपने बड़े भाई की नाई की दुकान में काम करते थे और वहां गुनगुनाया करते थे. वहीं, एक फकीर की बदौलत उन्हें सिंगिंग में करियर मिला था.
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