इस वजह से हो रही है श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को भारत लाने में देरी

अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि श्रीदेवी के शव को भारत में लाने में कितनी देर लगेगी. ऐसे में लोगों में यह जानने में रुचि है कि विदेश से शव लाने की क्या प्रक्रिया है और इसमें आमतौर पर कितना समय लगता है.

इस वजह से हो रही है श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को भारत लाने में देरी

लैब रिपोर्ट नहीं आने की वजह से श्रीदेवी के पार्थिव शरीर को भारत लाने में देरी हो रही है.

खास बातें

  • बॉलीवुड की अभिनेत्री श्रीदेवी का शनिवार रात तकरीबन 11 बजे निधन हुआ.
  • लैब रिपोर्ट नहीं आने की वजह से उनके शव को भारत लाने में देरी हो रही है.
  • मुंबई के विले पार्ले स्थित पवन हंस क्रीमटोरियम में अंतिम संस्कार होगा.
नई दिल्ली:

बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री श्रीदेवी का शनिवार रात तकरीबन 11 बजे निधन हो गया. वह 54 साल की थीं. उनका निधन दुबई में दिल का दौरा पड़ने से हो गया. पिछले दिनों भतीजे और अभिनेता मोहित मारवाह की शादी में शामिल होने के लिए श्रीदेवी अपने परिवार के साथ दुबई में थीं. उनके निधन को 24 घंटे से ज्यादा हो चुके हैं. लेकिन अब तक उनका शव दुबई से भारत नहीं लाया जा सका. लैब रिपोर्ट नहीं आने की वजह से उनके पार्थिव शरीर को भारत लाने में देरी हो रही है. अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि इसमें कितनी देर लगेगी. ऐसे में लोगों में यह जानने में रुचि है कि विदेश से शव लाने की क्या प्रक्रिया है और इसमें कितना समय लगता है.

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क्या है विदेश से शव लाने की प्रक्रिया ?
विदेश में हुई किसी भी मृत्यु के मामले में शव को भारत वापस लाने के लिए कई दस्तावेजों की जरूरत होती है. विदेश मंत्रालय ने इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी अपनी वेबसाइट पर दे रखी है. इसके मुताबिक़ शव वापसी के लिए मेडिकल रिपोर्ट और डेथ सर्टिफिकेट ज़रूरी है, जो कि स्थानीय अस्पताल से जारी किया गया हो. 

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पुलिस रिपोर्ट की कॉपी अगर एक्सीडेंटल या अननेचुरल डेथ का मामला हो (इसके इंग्लिश ट्रांसलेशन की कॉपी अगर रिपोर्ट किसी अन्य भाषा में लिखी हो तो) मृतक के किसी नजदीकी परिजन से कंसेंट लेटर जो की नोटरी से अटेस्टेड हो, पासपोर्ट और वीजा के पन्नों की कॉपी (निरस्तीकरण के लिए) इन दस्तावेजों के अलावा शव पर लेपन का क्लीयरेंस और उसकी व्यवस्था भी ज़रूरी है. स्थानीय इमीग्रेशन और कस्टम से क्लीयरेंस भी जरूरी होता है. मृतक किसी संक्रामक रोग से पीड़ित नहीं था, इसका सर्टिफ़िकेट भी जरूरी होता है.  ये तमाम नियम देश के हिसाब से कुछ बदल सकते हैं पर मूलत: इसी तरह के रहते हैं. 

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नेचुरल डेथ के मामले में सबको वापस लाने में बहुत देर नहीं लगता, लेकिन अननेचुरल डेथ के मामले में यह प्रक्रिया लंबी चलती है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर पुलिस उसकी जांच पड़ताल करती है और उससे जुड़े सबूत जुटाती है. शव को वापस लाने की प्रक्रिया के दौरान भारतीय दूतावास कांसुलेट लगातार मृतक के परिजनों के संपर्क में रहते हैं. 

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अगर कोई उसी देश में शव का अंतिम संस्कार चाहता है तो उसकी प्रक्रिया भी कमोबेश समान है. हालांकि दुनिया के ज़्यादातर देश मुस्लिम मृतक के मामले में ही अंतिम संस्कार की इजाजत देते हैं. ग़ैर मुस्लिम मृतकों को उनके नागरिकता वाले देश को भेजा जाना अनिवार्य होता है. वहीं, लावारिस शव के मामले में स्थानीय प्रशासन अपने हिसाब से फैसला लेता है. दुबई में भारत के कॉन्सुल जनरल विपुल ने NDTV को बताया कि हम लगातार वहां के अधिकारियों के संपर्क में हैं और यह प्रक्रिया जल्द ही पूरी कर ली जाएगी.
 


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