हिंदी फिल्मों की दुनिया में बहुत से ऐसे कलाकार रहे हैं जो बहुत कम समय के लिए पर्दे पर आए. दर्शकों को इंप्रेस किया अपनी एक्टिंग का दीवाना बनाया और फिर बहुत कम उम्र में न सिर्फ फिल्मी पर्दे को छोड़ कर बल्कि दुनिया को ही छोड़ कर चले गए. ऐसे ही एक सितारे थे संजीव कुमार. शोले के ठाकुर का रोल हो या आंधी, मौसम और नौकर जैसी मूवीज के अलग अलग शेड्स के किरदार. उन्होंने हर रोल में बखूबी रंग भरे हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि संजीव कुमार को अपनी मौत का अहसास बहुत पहले हो गया था. और, ये अहसास ही वो वजह थी कि वो कम उम्र में भी बुजुर्ग किरदार करना पसंद करते थे.
मौत की भविष्यवाणी
संजीव कुमार हिंदी सिनेमा का एक ऐसा सितारा थे जिनकी एक्टिंग बेहद उम्दा और फ्लोलेस थी. वो पर्दे पर आते थे और अपनी मौजूदगी से सीन में जान डाल देते थे. उन्हें बहुत पहले ये अहसास हो चुका था कि उनकी जिंदगी बहुत लंबी नहीं है. अपने कुछ खास लोगों के बीच उन्होंने खुद कहा भी था कि वो जानते हैं कि वो बहुत ज्यादा दिन जीने वाले नहीं हैं. एन एक्टर्स एक्टर: द ऑथराइज्ड बायोग्राफी ऑफ संजीव कुमार के लेखक हनीफ जावेरी ने इस किताब में लिखा है कि संजीव कुमार जानते थे कि वो पचास साल से ज्यादा नहीं जी सकेंगे और उनकी भविष्यवाणी सही भी साबित हुई. 47 साल की कम उम्र में ही वो दुनिया छोड़ कर चले गए.
इसलिए किए बुढ़ापे वाले रोल
संजीव कुमार ने जितनी फिल्में की, उनमें से अधिकांश ऐसी हैं जिसमें वो बुजुर्ग के किरदार में दिखाई देते थे. इसकी वजह भी उनकी बायोग्राफी में बताई गई है. किताब लिखने वाले लेखक हनीफ जावेरी को उन्होंने बताया था कि वो ये जानते हैं कि बूढ़े होने से पहले ही वो मर जाएंगे. इसलिए बुजुर्ग के रोल के सहारे ही वो इस उम्र का एक्सपीरियंस ले रहे हैं. असल में संजीव कुमार के परिवार के कई पुरुषों की मौत कम उम्र में हो गई थी. इसी वजह से उन्हें भी ये लगता था कि वो ज्यादा नहीं जीएंगे. उनका ये डर सही भी साबित हुआ.
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