शैल चतुर्वेदी हिंदी साहित्य और सिनेमा से जुड़ा एक ऐसा नाम जिसने अपनी हास्य व्यंग्य कविताओं से एक ओर जहां लोगों को खूब गुदगुदाया तो वहीं परिस्थितियों पर सोचने के लिए मजबूर भी किया. कवि के साथ ही एक अभिनेता के तौर पर भी उन्हें याद किया जाता है, जिन्होंने अपनी अदाकारी से लोगों का खूब मनोरंजन भी किया. आज ही के दिन यानी 29 जून, 1936 को महाराष्ट्र के अमरावती में शैल चतुर्वेदी का जन्म हुआ था. शैल चतुर्वेदी व्यंगकार, गीतकार और अभिनेता के रूप में भी जाने जाते थे, जिन्हें 1970 और 80 के दशक में उनके राजनीतिक व्यंग्य के लिए भी पहचाना जाता है. (राजनीति पर शैल चतुर्वेदी की कविता पढ़ने के लिए क्लिक करें)
इंसानियत मर रही है⁰और राजनीति⁰सभ्यता के सफ़ेद कैनवास पर⁰आदमी के ख़ून से⁰हस्ताक्षर कर रही है।⁰मूल अधिकार?⁰बस वोट देना है⁰सो दिये जाओ⁰और गंगाजल के देश में⁰ज़हर पिये जाओ।
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) June 29, 2022
Remembering poet, satirist & actor Shail Chaturvedi on his birth anniversary. pic.twitter.com/kgX6PTljN3
एक शिक्षक भी थे शैल जी
शैल चतुर्वेदी पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में पढ़ाते थे, फिर वे कवि सम्मेलनों का हिस्सा बनने लगे और धीरे-धीरे इस ओर आगे बढ़े. एक अभिनेता के रूप में भी शैल जी का कोई जवाब नहीं था, उनकी कॉमेडी टाइमिंग के लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है. चाहे श्रीमान-श्रीमती में केशव के बॉस बबलू प्रसाद शर्मा का किरदार हो या फिर जबान संभाल के सीरियल में स्कूल इंस्पेक्टर का, जिसे देख पूरी क्लास शांत हो जाती और उनके जाते ही बच्चे उनका मजाक उड़ाते. कैरेक्टर आर्टिस्ट के तौर पर शैल चतुर्वेदी ने दर्शकों को खूब मनोरंजन किया.
अपने अभिनय से लोगों को गुदगुदाया
छोटे पर्दे पर लोगों को हंसने पर मजबूर करने वाले शैल चतुर्वेदी ने बड़े पर्दे पर भी दर्शकों को काफी गुदगुदाया, वहीं कुछ संजीदा किरदार भी किए. उपहार, चमेली की शादी, हम दो हमारे दो, घर जमाई, पायल की झंकार, धनवान और तिरछी टोपी वाले जैसी कई फिल्मों में उन्होंने शानदार अभिनय किया.
हास्य व्यंग्य के जादूगर
भले ही एक अभिनेता के रूप में उन्होंने पहचान पाई हो लेकिन उनकी असल पहचान एक कवि की थी. अपने हास्य रस से भरी कविताओं के जरिए वह लोगों के दिलों में उतर जाते थे. कवि सम्मेलनों में उन्हें सुनने के लिए भीड़ लग जाती थी. उनके चेहरे पर आने वाली प्यारी सी मुस्कान और हास्य व्यंग सुन लोग लोटपोट हो जाते. 29 अक्टूबर 2007 को जब उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा तो उनके चाहने वाले शोक में डूब गए. हास्य व्यंग के इस जादूगर ने एक ऐसी अमिट छाप छोड़ी है जिसके जरिए वह अपने चाहने वालों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे.
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